भारत में अगले सप्ताह जी-20 समिट होने वाली है, जिसमें शी जिनपिंग (China) समेत करीब 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। इसके बावजूद ड्रैगन अपनी हरकतें करने से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने इस समिट से पहले सोमावार को अपने ‘मानक मानचित्र’ के 2023 संस्करण को जारी किया।इस मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन क्षेत्र, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर के कई द्वीपों को चीन में दिखाया गया है। भारत की ओर से अभी इस मानचित्र पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
ग्लोबल टाइम्स ने एक्स पर जारी एक पोस्ट में लिखा, ‘चीन (China) के मानक मानचित्र का 2023 संस्करण आधिकारिक तौर पर सोमवार को जारी किया गया और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की ओर से होस्ट किए गए मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर लॉन्च किया गया। यह मैप चीन और विश्व के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय सीमाओं की रेखांकन विधि के आधार पर कंपाइल किया गया है।’ चीन की ओर से यह नक्शा तब जारी किया गया है, जब हाल ही में पीएम मोदी और शी जिनपिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मिले थे।
The 2023 edition of China’s standard map was officially released on Monday and launched on the website of the standard map service hosted by the Ministry of Natural Resources. This map is compiled based on the drawing method of national boundaries of China and various countries… pic.twitter.com/bmtriz2Yqe
— Global Times (@globaltimesnews) August 28, 2023
चीन बॉर्डर के पास बना रहा गांव
इस बीच ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि चीन (China) एलएसी के पास संवेदनशील इलाकों में गांव बनाने में लगा है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि चीन के जियाओकांग में पूर्वी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। जबकि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में ऐसे 628 गांव, तवांग में 30 और तुलुंग ला में 25 गांव के होने का अनुमान है। रणनीतिक दृष्टिकोण से तवांग अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर का एंट्री पॉइंट है। साथ ही जहां तक तिब्बतियों का सवाल है, इसका धार्मिक महत्व भी है।
भूटान के पास भी बना रहा बस्ती
तुलुंग ला का महत्व इसलिए ज्यादा है, क्योंकि 1975 में चीनियों ने असम राइफल्स की 4 टुकड़ियों पर घात लगाकर हमला किया था। चुमार के संवेदनशील इलाके में भी ऐसी बस्तियां देखने को मिली हैं। रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पश्चिमी भूटान और उत्तरी भूटान के सामने भी निर्माण हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इन बस्तियों को गांवों के रूप में नहीं मानना चाहिए। इन सिर्फ चीन अपना दावा मजबूत करने के लिए बना रहा है।
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