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Chandrayaan 3 की सफलता पर जल भुन गया China, Global Times में कहा- ‘चांद की रात में…’

चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की सफल लैंडिंग के बाद से पुरे विश्व में भारत का डंका बज रहा है। भारत (Chandrayaan 3) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक लैंडिंग कर दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत के लैंडर विक्रम के चांद पर लैंड करने के ऐतिहासिक पलों की गवाह दुनियाभर के देश बने, लेकिन चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चंद्रयान की सफलता चीनी तकनीक से कमजोर बताते हुए तुलनात्मक नजरिये के साथ एक दिन बाद प्रकाशित किया। उसने लिखा चंद्रयान का रोवर चांद की रात का सामना नहीं कर सकता।

दरअसल, चीन दुनिया के उन चार देशों में शामिल है जो पहले चांद पर सफल मिशन कर चुके हैं, लेकिन चीन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच पाया है। भारत ने भौतिक रूप से बेहद कठिन माने जाने वाले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रचा है। इसके बाद ग्लोबल टाइम्स ने भारत के साथ चीन की तकनीक की तुलना करते हुए कहा कि चीन विभिन्न पहलुओं में भारत से कहीं अधिक उन्नत है।

अखबार ने लिखा, चांद पर भेजने चीन की तकनीक उन्नत

अखबार ने बीजिंग स्थित वरिष्ठ अंतरिक्ष विशेषज्ञ पैंग झिहाओ के हवाले से लिखा, ‘चीन 2010 में चांग’ई-2 के लॉन्च के बाद से ऑर्बिटर और लैंडर को सीधे पृथ्वी-चंद्रमा ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजने में सक्षम है। भारत के पास यह तकनीक नहीं है, क्योंकि उसके लॉन्च व्हीकल्स की क्षमता सीमित है। चीन की तकनीक उन्नत है जिसके कारण समय और ईंधन की बचत होती है। चीन जिस ईंधन का इस्तेमाल करता है वो काफी एडवांस है।’

प्रज्ञान चंद्रमा की रात का सामना नहीं कर सकता

चीनी अखबार ने भारत को कमतर दिखाने की कोशिश करते हुए एक्सपर्ट के हवाले से लिखा, ‘चीन का रोवर काफी बड़ा है जिसका वजन 140 किलोग्राम है, जबकि भारत के रोवर प्रज्ञान का वजन बस 26 किलोग्राम ही है। भारत का प्रज्ञान चंद्रमा की रात का सामना नहीं कर सकता और इसका जीवनकाल चांद पर केवल एक दिन का है इसके उलट चीन के Yutu-2 रोवर के पास चंद्रमा की सतह पर सबसे लंबे समय तक काम करने का रिकॉर्ड है, क्योंकि यह परमाणु ऊर्जा से लैस है जिससे यह लंबे समय तक काम कर सकता है।’

भारत के साथ अंतरिक्ष कार्यक्रम पर क्या कहा?

चीनी अखबार ने लिखा कि जो भी देश चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ मिलकर काम करने के लिए इच्छुक हैं, चीन ने उनके लिए अपनी बाहें खोल दी हैं लेकिन भारत के साथ अंतरिक्ष कार्यक्रम में सहयोग के रास्ते में भू-राजनीतिक कारक आड़े आते हैं।

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