रूस ने पहले ही कहा था कि जो भी यूक्रेन की मदद करेगा वो उसे इस जंग में शामिल समझेगा। यूक्रेन की इस वक्त हालत यह है कि वो पूरी तरह से खत्म हो चुके है। उसे फिर से पहले जैसा होने में कई साल लग जाएंगे। लेकिन, इसके बाद भी जेलेंस्की अपनी जनता को छोड़ अमेरिका और पश्चिमी देशों की पड़ी है। अमेरिका, नाटो और पश्चिमी देश यूक्रेन को पूरी तरह से मदद कर रहे हैं। ये यूक्रेन के लिए मदद नहीं बल्कि तबाही है। क्योंकि, ये जितना मदद करेंगे रूस उतनी ही तेजी से हमला करेगा। इन दिनों तो रूस वैसे ही यूक्रेन के मुख्य शहरों पर कब्जा करते जा रहा है और बहुत जल्द ही राजधानी पर भी कब्जा कर सकता है। ऐसे में जेलेंस्की के पास भागने के अलावा और कोई रास्ता बचेगा नहीं। अमेरिका ने एक बार फिर यूक्रेन को राहत पैकेज का ऐलान कर युद्ध को भड़काने का काम किया है।
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका यूक्रेन को सुरक्षा सहायता के तौर पर अतिरिक्त 27 करोड़ डॉलर का पैकेज देगा। इस पैकेज में अतिरिक्त मध्यम दूरी की रॉकेट प्रणाली और ड्रोन दिए जाएंगे। फरवरी में यूक्रेन पर रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक अमेरिका की ओर से यूक्रेन को आठ अरब 20 करोड़ डॉलर की सुरक्षा सहायता दी जा चुकी है। अमेरिकी संसद ने मई में यूक्रेन के लिए आर्थिक और सुरक्षा सहायता के वास्ते 40 अरब डॉलर की मंजूरी प्रदान की थी।
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पूर्वी डोनबास में भीषण युद्ध के बीच बुधवार को यूक्रेन को और अधिक रॉकेट प्रणालियां, गोला बारुद तथा अन्य सैन्य सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई थी। ये वही पश्चिमी देश हैं जो एक और यूक्रेन की रूस के खिलाफ मदद कर रहे हैं तो दूसरी ओर पुतिन से उम्मीद रखते हैं कि गैस और तेल की आपूर्ति होती रहे। पश्चिमी देश रूस के गैस पर टिके हुए हैं खासकर जर्मनी तो पूरी तरह से। सिर्फ 10 दिनों के लिए इसे रोक देने के बाद पूरे यूरोप में भूचाल आ गया। अमेरिका और नाटो के चक्कर में यूक्रेन में जंग शुरू हुई और ये पूरी तरह तबाह भी इन्हीं के चलते होगा। रूस बहुत जल्द कोई और बड़ा कदम उठा सकता है क्योंकि, पुतिन पहले ही बोल चुके हैं कि, यूक्रेन को मदद करने वाले देशों को इसका खामियाजा भुगतना होगा।