पश्चिमी देशों के चक्कर में फंसे जेलेंस्की इस वक्त अपने लोगों की जिंदगी खतरे में डाल चुके हैं। जहां उन्हें इस जंग को रोकने के लिए काम करना चाहिए तो इसे भड़काने का काम कर रहे हैं। पश्चिमी देशों से मिल रही मदद के चलते जेलेंस्की रूस से लड़ पा रहे हैं वरना कुछ ही दिनों में पूरी यूक्रेन रूस के कब्जे में होता। हालांकि, वैसे भी अमेरिका संग पश्चिमी देशों के एक साथ आ जाने के बाद भी रूस का यूक्रेन कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। आलम यह है कि, इस वक्त यूक्रेन शहरों पर रूस तेजी से कब्जा करते जा रहा है। अब रूसी हमले में यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट तहस-नहस हो गया है। जिसके बाद राष्ट्रपति व्लोदोमीर जेलेंस्की की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख का कहना है कि ज़ापोरिज्जिया स्थित यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूसी हमले में क्षतिग्रस्त हो गया है। आईएईए के महानिदेशक ने शुक्रवार को परिसर में हुई गोलाबारी के बाद इसकी स्थिति के बारे में चेतावनी जारी की है। राफेल मारियानो ग्रॉसी ने एक बयान में कहा, मैं यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र में कल की गई गोलाबारी से बेहद चिंतित हूं। यह एक परमाणु आपदा के वास्तविक जोखिम को रेखांकित करता है। यह यूक्रेन और उसके बाहर सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डाल सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, यूक्रेन ने रिएक्टरों को कोई नुकसान नहीं होने और कोई रेडियोलॉजिकल रिलीज नहीं होने की सूचना दी थी, लेकिन यह सैन्य कार्रवाई अस्वीकार्य है। उन्होंने इसे हर कीमत पर टालने की अपील की है। आगे कोई भी सैन्य गोलाबारी संभावित विनाशकारी परिणामों के साथ आग से खेलने जैसा होगा।
बदा दें कि, यूक्रेन पर पश्चिमी देशों की मेहरबानी है। अब तक अमेरिका, ब्रिटेन संग बाकी के पश्चिमी देश टैंक, गोला-बारूद, हथियार, रॉकेट, ट्रोन अब तो अमेरिका फाइटर जेट भी देने की तैयारी में है। अगर ऐसा हुआ तो यह हमला और भी ज्यादा बढ़ जाएगा और ऐसा भी हो सकता है कि यूक्रेन दुनिया के नक्शे से हमेशा के लिए मिट जाए। वहीं, पश्चिमी देश यूक्रेन को आर्थिक रूप से भी पूरी तरह मदद कर रहे हैं। अब उत्तर मैसेडोनिया यूक्रेन को टैंक और विमानों की आपूर्ति करने जा रहा है।