बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के जुल्म की कहानियां खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं। यहां हर दिन कई ऐसे मामले आते हैं जो इंसानियत को झकझोर देते हैं। कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया कि, पाकिस्तानी सेना यहां की 6 साल तक की बच्चियों संग रेप करता है और महिलाओं के शरीर में ड्रिल मसीन से झेद करता है। अभी ये बेहरहमी खत्म नहीं हुआ था कि अब एक और मामला सामने आ रहा है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सेना एक महीने 48 लोगों को मार चुकी है। इतना ही नहीं 45 लोग लापता है।
पाकिस्तान सेना बलूचिस्तान के लोगों को फर्जी मामले में जबरन उठा कर ले जाती है और फिर उनकी लास तक नहीं मिलती है। पिछले कुछ सालों में कई बार वायरल वीडियोज के जरिए वहां सेना की काली करतूत सामने आ चुकी है। अब बलूचिस्तान की मानवाधिकार परिषद ने आंकड़े पेश किए हैं जिसमें कहा है कि, जुलाई में बलूचिस्तान में कुल 48 ऐसी मौतें हुईं जिसके लिए पाकिस्तान की सेना जिम्मेदार है। हालांकि इसमें कुछ ऐसे भी मामले शामिल हैं जिसमें न्यायपालिका भी शामिल है। न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना ने 48 लोगों को मारा है। जबकि कुल 45 से ज्यादा लापता बताए जा रहे हैं। बलूचिस्तान की मानवाधिकार परिषद के अनुसार जुलाई में फांसी के 11 मामलों सहित हत्याओं के 48 मामलों के लिए पाकिस्तान के अर्धसैनिक बल जिम्मेदार हैं। परिषद ने कहा कि महीने में गायब होने के 45 मामले दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि, बलूचिस्तान में लोगों के खिलाफ हत्याओं और जबरन गायब होने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके चलते सैकड़ों-हजारों नागरिक प्रभावित होते हैं। यह अपराध बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और उनके संबंद्ध संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं। जिन्हें स्थानी रूप से मौत का दस्ता कहा जाता है।
बता दें कि, पाकिस्तानी आर्मी से संबद्ध कई ऐसी संस्थाएं है जो बलूचिस्तान में लोगों के बीच भय पैदा करती हैं अपने मन मुताबिक जुर्म करती हैं। रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में ही पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने एक फर्जी मुठभेड़ में 11 लोगों की हत्या कर दी। उन्हें बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकवादी के रूप में प्रचारित किया गया। इस मुठभेड़ के बारे में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दावा किया कि वे लेफ्टिनेंट कर्नल लाइक मिर्जा बेग के अपहरण और हत्या में शामिल थे। इस पर बलूच परिषद का कहना है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है। पीड़ितों के परिवारों ने भी इस बात से इंकार किया था। इसके अलावा अन्य कई ऐसे लोग हैं जो लापता हैं और उनकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं है।