मुशरिक थे कौमी तराना लिखने वाले हाफिज जालंधरी और पोर्क पसंद करने वाले काएदे आजम जिन्ना काफिर? अपनी विवादित पैदाइश से लेकर आज तक पाकिस्तान विवादित ही रहा है। जिन्नाह के विवादित और विश्वासघाती करैक्टर की तरह पाकिस्तान नाम का मुल्क भी विवादित और विश्वासघाती है। जिन्नाह पोर्क खाते थे। शराब पीते थे और सिगार-सिगरेट तो आम बात थी। विवादित-विश्वासघाती जिन्नाह ने जोगिंदर नाथ मंडल को ख्वाबी पाकिस्तान का संविधान बनाने का जिम्मा सौंपा।
पाकिस्तान के आत्मघाती कर्णधारों ने जोगिंदर नाथ मंडल को भारत वापस भागने पर मजबूर कर दिया। विवादित और विश्वासघाती पाकिस्तान की एक और शख्सियत है हफीज जालंधरी। हफीज जालंधरी एक ओर भगवान श्रीकृष्ण के भक्त मुशरिक और दूसरी और कट्टर मुसलमान जिसने पाकिस्तान का कौमी तराना लिखा है। हफीज जालंधरी ने किसके साथ विश्वासघात किया, खुद के साथ, कृष्णभक्तों के साथ, इस्लाम के साथ या 22 करोड़ पाकिस्तानियों के साथ। अगर विश्वासघात है तो फिर विवाद तो रहेगा ही।
जिन्नाह की अनोखी तस्बीर
क्या जिन्नाह काफिर थे। और कौमी तराना लिखने वाले हफीज जालंधरी मुशरिक या बुतपरस्त थे। आपने जिन्नाह की बहुत सी तस्बीरें देखीं होंगी लेकिन नमाज पढ़ते जिन्नाह की तस्बीर शायद ही देखी हो। अभी तक के आर्काइव में जिन्नाह की एक ही तस्बीर मिलती है कराची की। भारत से अलग हुए हिस्से के सबसे अमीर शहर कराची के ईदगाह की फोटो है। जिन्नाह के चर्चे बीबीसी की आर्काइव में तमाम हैं। पोर्क, व्हिस्की, सिगार-सिगरेट के साथ तमाम किस्से हैं। उन्हें इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के लोग कायद-ए-आजम कहते हैं। पाकिस्तानियों के पास इस बात का जवाब नहीं होता कि पोर्क खाने वाला, व्हिस्की-सिगरेट पीने वाले को ढाईफिट की दाड़ी, छोटे पायजामा और लम्बे कुर्ते वाले मौलानाओं से लेकर पाकिस्तान के पीएम और सदर तक सब अपना कायद मानते हैं।
कुरान और शरिया की कसम के साथ इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान की आर्मी पोर्क खाने, व्हिस्की पीने और सिगार पीने वाले मोहम्मद अली जिन्नाह की तस्बीर को सैल्यूट करते हैं। पाकिस्तान में मुहम्मद अली जिन्नाह की तस्बीरें छपती हैं। पाकिस्तानी नोट पर भी जिन्नाह है। शरिया के अनुसार तस्बीर छापना हराम है। तस्बीर भी किसकी जो पोर्क खाता रहा हो, व्हिस्की पीता रहा हो, सिगार-सिगरेट के कश उड़ाता रहा हो। ऐसा कहा जाता है कि गुनाहों की माफी मांगने के बाद इस्लाम में वापसी जायज है।
लेकिन पाकिस्तान के इतिहास में अभी तक कोई भी ऐसा जिक्र नहीं मिलता जहां मुहम्मद अली जिन्नाह ने पोर्क खाने, शराब पीने और सिगार के कश उड़ाने पर कभी माफी मांगी हो। खाना-पीना निजी इंट्रेस्ट और निजी जिंदगी का विषय है, लेकिन इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान की नींव तो सीरत और सुन्नत पर ही रखी गई, इसीलिए यहां चर्चा समीचीन है।
हम चर्चा कर रहे थे हफीज जालंधरी का। हफीज जालंधरी क्या खाते-पीते थे, इस पर कोई बहस नहीं लेकिन उनके रिलीजियस फेथ पर सवाल और बहस जरूरी है। शरिया के हिसाब से मुहम्मद अली जिन्नाह भी काफिर साबित होते हैं और हफीज जालंधरी भी। शरिया के मुताबिक मुशरिक तो काफिर है।
श्रीकृष्ण भक्त हफीज जालंधरी
हफीज जालंधरी ने तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के आकर्षण का ऐसा बखान किया है कि सनातन धर्मी भी उसमें खो जाएं। कृष्णभक्ति और कृष्ण प्रेम की नज्म लिखने वाले हफीज जालंधरी ने ही पाकिस्तान का कौमी तराना लिखा है। कौमी तराना मतलब नेशनल एंथेम-यानी राष्ट्रगीत लिखा है। एक काफिर ने ही लिखा है पाकिस्तान का कौमी तराना! पूरा पाकिस्तान एक काफिर के लिखे कौमी तराने को गुनगुनाता है।
यह वही पाकिस्तान है जहां गैर मुस्लिम (काफिर) किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठ सकता। जहां गुरुद्वारों और मंदिरों को अपवित्र करना जायज समझा जाता है। कुरान में ऐसा लिखा है या नहीं ये मुस्लिम स्कॉलर्स और मौलाना ही जानें।
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के बारे में एक खास बात और, जिन्नाह ने 11 अगस्त 1947 को संविधान सभा में एक स्पीच दी। पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्यों का ऐलान किया। जिन्नाह ने पाकिस्तान के संविधान लिखने का जिम्मा किसको सौंपा था, आपको मालूम है उस शख्स का नाम जोगिंदर नाथ मंडल। जोगिंदर नाथ मंडल ने पाकिस्तान का संविधान बनाया भी।
पाकिस्तान से भाग कर वापस आए जोगिंदर नाथ मंडल
11 सितंबर 1948 यानी जिन्नाह की मौत के दिन तक जोगिंदर नाथ मंडल के साथ पाकिस्तानी सरकार का बर्ताव लगभग ठीक रहा, लेकिन जिन्नाह की मौत के बाद जोगिंदर नाथ मंडल को पाकिस्तान में बिताना मुश्किल हो गया। पहले उन्हें फेडरल लॉ मिनिस्टर के पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर पाकिस्तान से भाग कर भारत आना पड़ा। क्यों कि जोगिंदर नाथ मंडल काफिर थे। पाकिस्तान बन जाने के बाद भी वो मुसलमान नहीं बने।
1973 में बना पाकिस्तान का संविधान
एक काफिर का बनाया हुआ संविधान इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के लोग कैसे कबूल करते। पाकिस्तान का संविधान 1973 में बना। इसके कई मायने हैं। नम्बर एक- 14 अगस्त 1947 से लेकर 1973 तक पाकिस्तान में कोई कानून था। 1973 के बाद पाकिस्तान के बाद जो कानून-सविंधान बना वो जिन्नाह के सपनों का संविधान-कानून नहीं था।
मुहम्मद अली जिन्नाह भी काफिर और कौमी तराना लिखने वाले हफीज जालंधरी भी मुशरिक
पाकिस्तानी कुछ भी कहें लेकिन कौमी तराना तो एक मुशरिक या काफिर हफीज जालंधरी का लिखा हुआ ही गुनगुनाते हैं न, जिसने श्रीकृष्ण की मूर्ति के आकर्षण में पड़ कर नज्म लिख डाली और पोर्क-शराब पसंद काएदे आजम पाकिस्तान मुहम्मद अली जिन्नाह भी काफिर ही तो थे न।… या नहीं?