Rice Export India: कोरोना महामारी अपने साथ भारी तबाही लेकर आई, दो साल में पूरे दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। हर एक चीजों के दामों में भारी वृद्धि आ गया। अभी इसकी मार से दुनिया संभली नहीं थी कि, रूस और यूक्रेन जंग के चलते दुनिया में और भी ज्यादा महंगाई आ गई। इस वक्त लगभग हर देशों में हर एक चीज के दामों में वृद्धि आ चुका है। भारत में भी महंगाई की मार है लेकिन, बाकी देशों के मुकाबले कम है। कुछ समय पहले भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद दुनियाभर में हलचल मच गया। अब सरकार ने टूटे चावल (Rice Export India) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने टूटे चाल के निर्यात (Rice Export India) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
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दरअसल, चावल की बढ़ती हुई कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है। यह आदेश आज से ही लागू होगा। इससे पहले टूटे चावल के निर्यात पर किसी तरह का शुल्क नहीं लगता था। साथ ही सरकार की ओर से जारी एक अन्य आदेश के तहत गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क वसूला जाएगा। यह आदेश भी आज से लागू होगा। हालांकि, उबले और बासमती चावल के निर्यात को इस प्रतिबंध से बाहर रखा गया है। गौरतबल है कि भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वैश्विक चावल उत्पादन में भारत की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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राजस्व विभाग ने अपने एक अधीसूचना में कहा है कि, मौजूदा खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा काफी घट गया है। ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। कुछ राज्यों में बारिश कम होने से मौजूदा खरीफ सीजन में अब तक धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 फीसदी घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है। चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40% है। भारत ने 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल निर्यात किया था। इस दौरान 150 से अधिक देशों को 6.11 अरब डॉलर का गैर-बासमती चावल निर्यात किया गया था।