Common Civil Code: देशभक्त मुस्लिम बुद्धिजीवियों के मंच भारत फर्स्ट के राष्ट्रीय कोर टीम के सदस्यों की एक अहम बैठक में समान नागरिक संहिता, मदरसों के सर्वे, जनसंख्या नियंत्रण कानून और वक्फ बोर्ड की कार्यप्राणली को गहन चिंतन हुआ। और देश भर से शामिल कार्यकर्ताओं ने बड़े ही मजबूती के साथ सरकार के कदमों का समर्थन करते हुए इसे राष्ट्रहित में बताया। बैठक के बाद भारत फर्स्ट के राष्ट्रीय संयोजक शिराज़ कुरैशी ने बताया कि समान नागरिक संहिता या एक राष्ट्र-एक कानून (Common Civil Code) की आवश्यकता और सामाजिक महत्व के ऐसे अन्य मुद्दों पर बैठक में चर्चा हुई और इसे वक्त की जरूरत बताया। भारत फर्स्ट की ओर से कहा गया कि, गोवा में कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) पहले से ही लागू है और अब उत्तराखंड इसे लागू करने की योजना बना रहा है। इसलिए कानून और न्याय के हित में भारत फर्स्ट की यह बैठक भारत के सभी नागरिकों के लिए ‘एक राष्ट्र एक कानून’ सिद्धांत की शुरूआत का पुरजोर समर्थन करता है और केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि इसे पूरी तरह लागू किया जाए। इसके साथ ही भारत फर्स्ट ने उत्तर प्रदेश में मदरसा सर्वेक्षण के कदम का जोरदार समर्थन किया है और इसे पूरे देश में लागू करने की जरूरत बताया है। साथ ही मंच का मानना है कि बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना देश की प्रमुख चिंताओं में से एक है। मदरसे को लेकर बैठक में कहा गया कि, सरकार का सर्वे वाला कदम गलत नहीं है। क्योंकि, कई ऐसे गैर मदरसे चलाए जा रहे हैं जो इस्लामी छात्रों को कट्टर बना रहे हैं। इनपर रोक लगना जरूरी है।
यह भी पढ़ें- Muslim-ईसाई बने दलितों के हाल का चलेगा पता! सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
सामान्य नागरिक संहिता होनी चाहिए लागू
सह संयोजक इमरान चौधरी और मिर्जा साजिद बेग ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने हाल ही में तमिलनाडु के थिरुचेंदुरई के कुछ सात गांवों की पूरी जमीन पर अपना दावा किया है। यह एक बहुत ही गंभीर मामला है और इसे जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है। भारत सदियों से विभिन्न धर्मों और धर्मों की भूमि रही है। लेकिन विविधताओं के बावजूद, इसने ‘एक राष्ट्र-एक लोग’ (Common Civil Code) के सिद्धांत का पालन और अभ्यास किया है। सामान्य नागरिक संहिता की शुरूआत स्वतंत्रता के बाद से ही दृढ़ता से महसूस की जाती है। लेकिन राजनीतिक कारणों से यह अभी तक अमल में नहीं लाया जा सका है।
‘एक राष्ट्र एक कानून’ का भारत फर्स्ट ने किया समर्थन
भारत फर्स्ट के मुफ्ती जाहिद खान और मोहम्मद अब्बास का मानना है कि यह सोचना गलत होगा कि सामान्य नागरिक संहिता व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करेगी। गोवा में कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) पहले से ही लागू है और अब उत्तराखंड इसे लागू करने की योजना बना रहा है। इसलिए कानून और न्याय के हित में भारत फर्स्ट की यह बैठक भारत के सभी नागरिकों के लिए ‘एक राष्ट्र एक कानून’ सिद्धांत की शुरूआत का पुरजोर समर्थन करता है और केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि इसे पूरी तरह लागू किया जाए।
मदरसों का सर्वे जरूरी
भारत फर्स्ट का मदरसों के सर्वे के बारे में विचार है कि इस तरह के अभ्यास से इस्लाम के छात्रों के बीच ‘कट्टरता’ को रोकने में मदद मिलेगी और उनके शैक्षिक मानकों में बदलाव आएगा। ऐसे सर्वेक्षण उन मामलों में किए जा रहे हैं जहां संस्थान बौद्ध, ईसाई और यहां तक कि आर्य समाज द्वारा चलाए जा रहे हैं। मदरसों की शिक्षा प्रणाली में आवश्यक बदलाव लाने के लिए इस तरह का सर्वेक्षण करने में कुछ भी गलत नहीं है। कुछ अपंजीकृत मदरसों में छात्रों की स्थिति अधिक दयनीय होती है और उन्हें ‘बाहर की बदलती दुनिया’ को देखने की भी अनुमति नहीं है जो चिंता का सबसे बड़ा कारण है और यह कट्टरता की ओर ले जाती है। और मदरसे के छात्रों को देश की मुख्यधारा में शामिल होने और समय के साथ आगे बढ़ने में सक्षम बनाने के लिए इसकी जांच करने की आवश्यकता है।
यह भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्री प्रधान ने सभी भारतीय भाषाओं पर जोर देने का किया आह्वान
जनसंख्या को नियंत्रण करना जरूरी
इसके साथ ही भारत फर्स्ट को यह भी लगता है कि मदरसा के छात्रों को तकनीकी, पेशेवर और कौशल प्रशिक्षण देने की जरूरत है ताकि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। इसलिए, इन शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम और शिक्षण पैटर्न का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण आवश्यक है। देश में बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे हैं जो अपंजीकृत हैं और शिक्षा विभागों द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं करते हैं।
देश की जनसंख्या को नियंत्रण करने की आवश्यकता सरकार और समाज के लिए भी एक प्रमुख मुद्दा बन गई है। सभी आर्थिक, वित्तीय और कल्याणकारी योजनाएं जनसंख्या की अनियोजित वृद्धि के बीच चलती हैं और देश लंबे समय से इसका गवाह रही हैं। इस पर नियंत्रण किया जाना इसलिए जरूरी है क्योंकि संसाधनों की तो सीमित उपलब्धता ही रहेगी। भारत फर्स्ट की बैठक यह महसूस करती है कि सरकार को सख्त मानदंड पेश करने चाहिए और उन्हें सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य रूप से लागू करना चाहिए।
मंच का मानना है कि पूरे देश में वक्फ के स्वामित्व वाली संपत्तियों के साथ राजनीति की जा रही है। तमिलनाडु की घटना वक्फ अधिनियम की तत्काल समीक्षा की भारत फर्स्ट मांग करता है और मुस्लिम समुदाय के लिए इसे और अधिक उपयोगी बनाने की जरूरत है।