Nepal Political Crisis: नेपाल की सियासत में एक बार फिर से गर्माहट देखने को मिलने लगी है। पूर्व प्रधानमंत्री कपी ओली जब से सत्ता से गए हैं तब से ही वो वापसी का प्लान कर रहे हैं और समय-समय पर नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को झटका देने की कोशिश करते रहते हैं। अब एक बार फिर से नेपाल की सत्ता में बड़ा हेरफेर देखने को मिल रहा है। पीएम शेर बहादुर देउबा ने जनता समाजवादी पार्टी (JSP) के चार मंत्रियों को बृहस्पतिवार को बर्खास्त (Nepal Political Crisis) कर दिया। दरअसल, आगामी आम चुनाव के लिए जेएसपी ने सीपीएन-यूएमएल से हाथ मिलाने के बाद पिछले सप्ताह सत्तारूढ़ गठबंधन (Nepal Political Crisis) का साथ छोड़ दिया था। जिसके बाद, राष्ट्रपति कार्यालय से बृहस्पतिवार शाम जारी बयान के हवाले से काठमांडू पोस्ट अखबार ने लिखा है कि प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने चार मंत्रियों को उनके कार्यभार से मुक्त कर दिया है।
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इन चार मंत्रियों को किया बर्खास्त
प्रधानमंत्री ने जिन चार मंत्रियों को बर्खास्त किया है, उनमें संघीय मामलों और सामान्य प्रशासनिक मामलों के मंत्री राजेन्द्र श्रेष्ठ, वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रदीप यादव, बुनियादी ढांचा मंत्री मोहम्म्द इस्तियाक राय और कृषि एवं मवेशी मंत्री मृगेन्द्र कुमार सिंह शामिल हैं। इलेक्शन कमिशन की आचार संहिता के अनुसार, इन मंत्रियों को बर्खास्त किए जाने के बावजूद प्रधानमंत्री द्वारा नये मंत्रियों की नियुक्ति किए जाने की संभावना क्षीण है। निर्वाचन आयोग के अनुसार कैबिनेट में नयी नियुक्तियां चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन होंगी। बता दें कि, जेएसपी के नेताओं ने दलील दी थी कि उन्होंने सरकार का साथ नहीं छोड़ा है, बस कुछ सीटों पर चुनाव के लिए यूएमएल से हाथ मिलाया है।
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नेपाल में 20 नवंबर को होगा आम चुनाव
एक रिपोर्ट की माने तो, प्रधानमंत्री देउबा ने इस मुद्दे पर सीपीएन (माओवादी मध्य), सीपीएन (यूनाइटेड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय जनमोर्चा के साथ चर्चा की। देउबा मंत्रियों को बर्खास्त करने पर आमादा थे, लेकिन गठबंधन सहयोगियों में इसे लेकर आम सहमति नहीं थी। कुछ नेताओं ने तो मंत्रियों को सिर्फ उनके कार्यभार से मुक्त करके बिना विभाग वाला मंत्री बनाने की भी सलाह दी थी। नेपाल में संघीय संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 20 नवंबर को चुनाव होने हैं।