India in UNGA on Russia VOting: भारत ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र में रूस संग दोस्ती निभाते हुए वोटिंग से अलग हो गया है। दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सोमवार को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसमें रूस (India in UNGA on Russia VOting) को यूक्रेन पर हमला करके अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने के लिए क्षतिपूर्ति का भुगतान करने सहित जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया। इस प्रस्ताव के लिए 193 सदस्यीय देशों में से 94 वोट पक्ष में पड़े और 1 इसके खिलाफ पड़े। वहीं, 73 सदस्य अनुपस्थित रहे। भारत ने संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूस (India in UNGA on Russia VOting) की निंदा नहीं की है और अपनी स्वतंत्र स्थिति बनाए रखी है।
यह भी पढ़ें- Russia के झटके से यूरोप संग हिला चीन, IMF ने कहा- आने वाला है मंदी का दौर
रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव- भारत हुआ अगल
संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर भारत ने लगातार हिंसा, शांति और कूटनीति की समाप्ति की वकालत की है। संयुक्त राष्ट्र के इस मंच पर भारत ने फिर एक बार रूस का साथ दिया और वोटिंग से खुद को अलग रखा। यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्त महासभा में रूस के खिलाफ और यूक्रेन संबंधी पांच प्रस्ताव रखे गये हैं। नया प्रस्ताव यूक्रेन के खिलाफ रूस के गलत कृत्यों से हुई क्षति, हानी या चोट के लिए एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता को चिहिन्त करता है। यह अनुशंसा करता है कि, यूक्रेन के सहयोग से महासभा के सदस्य राष्ट्र यूक्रेन को हुए नुकसान, हानि या चोट पर दावों और सूचनाओं के दस्तावेजीकरण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर बनाएं।
रूस से मांगा जा रहा जवाब
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में रूस की वीटो शक्ति ने सबसे शक्तिशाली निकाय को कोई कार्रवाई करने से रोक दिया है। हालांकि, महासभा में कोई वीटो नहीं है, जिसने पूर्व में रूस के आक्रमण की आलोचना वाले चार प्रस्तावों को अंगीकृत किया था। सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन वे विश्व की राय को दर्शाते हैं। यह प्रस्ताव चेक गणराज्य के द्वारा सह-प्रायोजित था। उसने कहा कि रूस को यूक्रेन में अपने युद्ध के कारण हुए उल्लंघन और क्षति के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें- नई तबाही से बौखलाये Zelensky! यूक्रेन के कही शहरों पर रूसी फौजों का कब्जा
यूक्रेन के प्रति इतनी उदारता ठीक नहीं
पश्चिमी देश यूक्रेन को जिस रूप में दिखा रहे हैं दुनिया उसी तरह उसे देख रही है। उसकी असलियत को छुपाया जा रहा है। दुनिया को ये बताया जाना चाहिए कि, यूक्रेन ने डोनबास में किस तरह कत्लेआम मचाया हुआ था। 15 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया। एक रिपोर्ट के मुताबित, डोनबास में जमीन के अंदर 5,00 से अधिक बच्चों को मार कर जमीन के अंदर गाड़ दिया गया और ये सब करने वाला यूक्रेन था। रूस के खिलाफ पश्चिमी देश कितना भी चले जाये लेकिन, पुतिन का ज्यादा कुछ बिगाड़ नहीं पायेंगे। प्रतिबंध लगाकर वो मंदी की मार तो झेल ही रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में चाहे एक हजार रूस के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर लें लेकिन, आने वाले दिनों में यूरोप को भारी मंदी की तबाही से कोई नहीं बचा सकता।