US and Pakistan Relations: पाकिस्तान इस वक्त पूरी तरह से बरबाद हो चुका है। हाल यह है कि, देश की जनता खाने के लिए तरश रही है। गेहूं, चावल, आटा, दाल, प्यास से लेकर हर एक चीज की देश में कमी है। बिजली संकट से लेकर तेल तक की देश में भारी कमी है। इस बीच अमेरिका ने अपना पाकिस्तान (US and Pakistan Relations) के प्रति प्रेम दिखाना शुरू कर दिया है। अमेरिका की विदेश नीति पाकिस्तान के लिए पूरी तरह से बदल चुकी है। अमेरिका एक ओर भारत के साथ रिश्ता मजबूत करने की बात कह रहा है तो वहीं दूसरी ओर आतंक की फैक्ट्री लगाने वाले पाकिस्तान पर फिदा है। पाकिस्तान को अमेरिका (US and Pakistan Relations) ने बाढ़ त्रासदी के लिए करोड़ों डॉ़लर की मदद की। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की डील फाइनल की, ये भारत के खिलाफ उसने कदम उठाया। बाइडन प्रशासन का इतने से अभी पेट नहीं भरा था कि, अब अमेरिकी सरकार पाकिस्तान (US and Pakistan Relations) के साथ आतंकवाद पर बातचीत करेगी। जबकि, पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का जन्मदाता है।
पाकिस्तान संग अमेरिका आतंकवाद पर बात करेगा
पाकिस्तान के बड़बोले विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी का कहना है कि, पाकिस्तान और अमेरिका अगले महीने आतंकवाद से निपटने के अपने प्रयासों के समन्वय की संभावनाओं का पता लगाने के लिए वार्ता करेंगे। वॉशिंगटन के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे बिलावल ने अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चॉलेट के साथ एक अलग बैठक की। इस दौरान चॉलेट ने उन्हें आश्वासन दिया कि अमेरिका सभी की सुरक्षा के लिए आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान के साथ खड़ा है। चोलेट ने बैठक के बाद एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने पेशावर में हाल की बमबारी पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता और बाढ़ से उबरने की दिशा में प्रगति पर चर्चा की।
पाकिस्तान के लिए टीटीपी बना नासूर
इसके आगे बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि, आतंकवाद वास्तव में एक मुद्दा बनता जा रहा है, न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी। उन्होंने पिछले सप्ताह मास्को की अपनी यात्रा के दौरान रूसी अधिकारियों के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि हमें एक बार फिर आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय की जरूरत है। आतंकवादी एक दूसरे के साथ अपने कार्यों का समन्वय करते हैं ऐसे में आतंकवाद का मुकाबला करने वाली ताकतों को ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए? इसके आगे बिलावल ने कहा कि, पाकिस्तान में टीटीपी से निपटना होगा। चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को लेकर चिंतित है। अमेरिका अल कायदा के बारे में चिंतित है जबकि रूसी भी कुछ समूहों पर केंद्रित हैं। ऐसे में उन सभी को अपने प्रयासों का समन्वय करने की आवश्यकता है।
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