kerala के त्रिशूर ज़िले में स्थित प्रसिद्ध गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में जल्द ही एक नया मुख्य पुजारी या मेलशांति होगा। यह पुजारी 57 वर्षीय डॉ. थोट्टम शिवकरण नंबूदरी हैं,जो कि पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं।
अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता के अलावा नये चुने गये प्रधान पुजारी जैमिनीय सामवेद के केरल-शैली के जप करने वाले दो अधिकृत लोगों में से एक होने को लेकर भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यह एक ऐसी परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है और 1970 के दशक तक यह परंपरा वस्तुतः अस्तित्वहीन हो गयी थी।
जैमिनीय सामवेद में ऋग्वेद और अन्य स्रोतों से 1,700 सूक्तों की संगीतमय व्यवस्था है और यह परंपरा अब केवल दो व्यक्तियों तक ही सीमित है। वे ही इसके बारे में पूरी जानकारी रखते हैं।
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नामित प्रधान पुजारी को उनके भाई, थोट्टम कृष्णन नमबोथिरी के साथ उनके पिता द्वारा जैमिनीय सामवेद को प्रशिक्षित और सिखाया गया था। इस अनूठी मौखिक परंपरा को बनाये रखने के उद्देश्य से उन्होंने अपने गांव में एक गुरुकुलम शुरू किया था।
त्रिशूर के पंजाल गांव के रहने वाले डॉ नंबूदरी अपने परिवार और क्षेत्र से ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जो मुख्य पुजारी बने हैं। उन्हें ड्रॉ द्वारा चुना गया था और वह 1 अप्रैल से मेलशांति के रूप में छह महीने की अवधि के लिए पदभार ग्रहण करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान वह मंदिर में रहेंगे और घर नहीं जायेंगे।
एक बार जब उनका कार्यकाल समाप्त हो जायेगा, तो वह अपनी चिकित्सा पद्धति पर लौटने और छात्रों को जैमिनीय सामवेद का प्रशिक्षण जारी रखने का इरादा रखते हैं।
डॉ. कक्कड़ किरण आनंद नंबूदरी, जो मंदिर के वर्तमान प्रमुख पुजारी हैं, एक यूट्यूबर, गायक और व्लॉगर होने के अलावा एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। वह प्रमुख पुजारी बनने से पहले छह साल तक मास्को में एक रूसी आयुर्वेद क्लिनिक में आयुर्वेदिक चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे थे।