पाकिस्तान (Pakistan) इस वक्त कई सारी समस्याओं का सामना कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता हुई पड़ी है। देश की जनता इस वक्त भारी महंगाई की मार झेल रही है, विश्व कर्ज बढ़ते जा रहा है। इसके साथ ही देश में भारी बिजली संकट का मुद्दा गहराया हुआ है। पाकिस्तान की आवाम कई घंटों बिना बिजली के काट रही है। वहीं इन सब चीजों के अलावा लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए आटा तक नहीं है और आटा खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं लेकिन तब भी कई लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है। सब्जियों से लेकर तमाम खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं और कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान की जनता को परेशान कर रखा है। ऐसे में आर्थिक संकट से बुरी तरह जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब एक और चिंताजनक खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान को 6.5 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम को अनलॉक करने के लिए कुछ और शर्तों को पूरा करना होगा।
ऐसे में डिफॉल्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान के पास इन शर्तों को मानने के अलावा दूसरा और कोई भी विकल्प नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएमएफ पाकिस्तान सरकार पर उन देशों से आश्वासन हासिल करने का दबाव डाल रहा है जिन्होंने वित्तीय सहायता का वादा किया है। यही नहीं पाकिस्तान इस समय इकलौता दक्षिण एशियाई देश है जिसे आईएमएफ की तरफ से अभी तक बेलआउट हासिल नहीं हुआ है। इस हफ्ते श्रीलंका को आईएमएफ की तरफ से आर्थिक मदद देने का ऐलान हो गया है। अमेरिकी कर्जदाता भारत के एक और पड़ोसी बांग्लादेश को भी वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार हो गया है।
IMF चाहता है दोस्त करें वादे पूरे
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने पिछले हफ्ते कहा था कि आईएमएफ बेलआउट पैकेज पर साइन करने से पहले देशों को पाकिस्तान की मदद करने के लिए फंड बढ़ाने को लेकर अपने वादों को पूरे करते हुए देखना चाहता है। पाकिस्तान को जून तक करीब 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है, जबकि 4 अरब डॉलर के रोल ओवर होने की उम्मीद है। आईएमएफ के 6.5 बिलियन डॉलर लोन पैकेज को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान अपनी मुद्रा को कमजोर कर रहा है। यह फंड विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे देश को कुछ राहत प्रदान करेगा। आईएमएफ के लिए हमेशा से सबसे बड़ी समस्या पेट्रोल पर दी जाने वाली सब्सिडी रही है।