चीन(China) के तलवे चाटते हुए, लंबी खींचतान के बाद आखिरकार पाकिस्तान ने ऐलान कर दिया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से आज से होने वाले डेमोक्रेसी समिट में हिस्सा नहीं लेगा. पाकिस्तान ने पिछले साल डेमोक्रेसी समिट से खुद को दूर कर लिया था, जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे, यहां तक कि अमेरिका से निमंत्रण मिलने के बाद भी। इसके पीछे दो कारण थे।
पहला- इस कन्वेंशन में 100 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे थे, जिसमें ताइवान भी शामिल था. इससे चीन भड़क गया और ड्रैगन(China) को खुश करने के लिए इमरान ने अमेरिका से दूरी बना ली। दूसरी- बाइडेन ने इमरान को फोन नहीं किया, जिसका बदला उन्होंने इस लोकतंत्र सम्मेलन में शामिल नहीं होकर लिया. अब इस साल भी चीन और तुर्की की बौखलाहट से डरकर पाकिस्तान ने इस अमेरिकी सम्मेलन को टालकर सीधे बाइडेन से पंगा ले लिया है.
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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस सम्मेलन के शुरू होने से ठीक पहले इसकी घोषणा की। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हम अमेरिका के साथ दोस्ती को अहमियत देते हैं। हम इसे और मजबूत करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान साल 2021 में हुए इस लोकतंत्र सम्मेलन का हिस्सा नहीं था और इस बार भी नहीं होगा. पाकिस्तान लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देगा और मानवाधिकारों को महत्व देगा। पाकिस्तान उन 100 से अधिक देशों में शामिल है, जिन्हें बाइडेन ने तीन दिवसीय लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था
चीन और तुर्की से दोस्ती टूटने के डर से पाकिस्तान ने छोड़ा सम्मलेन
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका के साथ संबंध मजबूत हुए हैं और आगे भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम द्विपक्षीय तरीके से अमेरिका के साथ संबंध मजबूत करेंगे। दरअसल, इस साल अमेरिका ने ताइवान को दोबारा बुलाया है। साथ ही तुर्की को भी आमंत्रित नहीं किया गया है जो पाकिस्तान का घनिष्ठ मित्र है। चीन की नाराजगी और मित्र तुर्की को न्योता न मिलने के खतरे के बाद पाकिस्तान ने दोस्ती टूटने के डर से सम्मेलन छोड़ दिया. माना जाता है कि इसके पीछे मुख्य कारण पाकिस्तान की गरीबी है। पाकिस्तान चीन के कर्ज तले बुरी तरह दबा हुआ है
पाकिस्तान को चीन(China) का 30 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज लौटाना है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक पाकिस्तान के एक तरफ अमेरिका और दूसरी तरफ चीन और तुर्की थे। इसे देखते हुए पाकिस्तान ने चीन और तुर्की का साथ देना बेहतर समझा। इस बीच, आईएमएफ पाकिस्तान को कर्ज देगा या नहीं, यह इस वैश्विक संस्था पर हावी अमेरिका के रवैये पर बहुत कुछ निर्भर करता है। पिछले साल जब अमेरिका के इस शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लिया था तो चीन ने उसका स्वागत किया था