नई दिल्ली द्वारा अलगाववादी भगोड़े अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए अभियान शुरू करने के बाद पाकिस्तान में खालिस्तान सिखों के समर्थकों और पाकिस्तान में वर्चुअल कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे बॉट्स का एक नेटवर्क भारत और विदेशों में उग्र हमलों को लेकर एकजुट हो गया है।
वाशिंगटन पोस्ट नेटवर्क कॉन्टैगियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनसीआरआई) का हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमृतपाल मामले के बाद खालिस्तानी समर्थक कई ऐसे अकाउंट नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। इसका उद्देश्य उन ट्वीट्स को ट्रेंड कराना है, जो भारत के अंदर और साथ ही विदेशों में राजनयिक मिशनों, मंदिरों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काते हैं।
NCRI's research, featured in the @washingtonpost, exposes Khalistani bot networks engaging in coordinated inauthentic activity to promote violence and vandalism, underlining real-world safety concerns.
Read @josephmenn's article here:https://t.co/4AeZelRfCS
— Network Contagion Research Institute (@ncri_io) April 10, 2023
एनसीआरआई ने ऐसे कई ट्वीट्स का ज़िक़्र किया है, जिनमें प्रदर्शनकारियों से इकट्ठा होने या बिजली संयंत्रों और ट्रेन पटरियों जैसी रणनीतिक संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाने की सीधी कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। एसएफ़जे को उस वीडियो को व्यापक रूप से फैलाने का श्रेय दिया गया है, जिसमें बठिंडा में गुरु हरगोबिंद थर्मल प्लांट तक जाने वाले रेलवे ट्रैक को नुकसान होता हुआ दिखाता है।
एनसीआरआई को ऐसे 359 एकाउंट मिले हैं, जो जनवरी से ही इस तरह के अभियान चला रहे हैं। 20 से 50 एकाउंट के नेटवर्क आमतौर पर मैसेज या वीडियो को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, उनमें से कई में यू.एस. स्थित एसएफ़जे के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नून शामिल हैं। WaPo की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक अकाउंट अपनी वीज़िबिलिटी बढ़ाने के लिए विभिन्न पत्रकारों और अन्य सार्वजनिक हस्तियों को टैग करते हुए दर्जनों बार ट्वीट को प्रसारित कर रहा है।
जैसा कि आशंका थी, WaPo की इस रिपोर्ट में पाकिस्तान का एंगल भी है। यह अख़बार बताता है कि ट्विटर नेटवर्क के हिस्से के रूप में चिह्नित किये जाने वाले लगभग 20 प्रतिशत एकाउंट पाकिस्तान के अंदर स्थित होने का दावा करते हैं। उनमें से कुछ ने सही मायने में ट्वीट किया है कि सिखों को पाकिस्तान या पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक दलों में से किसी एक के समर्थन का आभारी होना चाहिए।
एनसीआरआई ने लिखा है, “इस प्रकार, कथित एसएफ़जे समर्थकों के एक स्व-चिह्नित पाकिस्तानी नेटवर्क द्वारा शामिल होना न केवल बॉट जैसी गतिविधि का सुझाव देता है, बल्कि गुप्त प्रभाव के लिए व्यापक प्रयास की संभावना को भी बढ़ावा देता है। सचाई यह है कि स्व-चिह्नित पाकिस्तानी एकाउंट का यह नेटवर्क हिंदू पूजा स्थलों के ख़िलाफ़ हमलों को बढ़ावा देता है, आतंक के लिए प्रोत्साहित करता है और भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हमला करता है,ये तमाम चीज़ें पाकिस्तानी रणनीतिक हितों के साथ अच्छी तरह से मेल खाती हैं।”
एनसीआरआई के चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफ़िसर जैक डोनोह्यू को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, “जब आप बढ़ते बयानबाज़ी और उसकी तीव्रता को देखते हैं, और जिस तरह से वास्तविक दुनिया में उन घटनाओं से पहले हो जाता है, जो बर्बरता या हिंसा में परिणत हो जाती हैं, तो यह चिंता का विषय है। ”
हाल ही में उन हमलों में तेज़ी आयी है, जिसमें खालिस्तानी समर्थकों द्वारा सैन फ़्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ भी शामिल है। इसी तरह,लंदन में भारतीय उच्चायोग भवन में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की जगह खालिस्तानी ध्वज को लहराने का प्रयास किया गया था।