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हत्या के दोषी को रिहा करने के फ़ैसले पर सवाल, IAS अधिकारी संघ ने की नीतीश सरकार की आलोचना

आईएएस अधिकारी संघ द्वारा आनंद मोहन सिंह की रिहाई की कड़ी निंदा

गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार के क़दम के ख़िलाफ़ आईएएस अधिकारी संघ ने ज़ोरदार विरोध किया है, जो एक दलित आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने ट्विटर पर साझा किए गए एक बयान में कहा,”क़ैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव करके गोपालगंज के पूर्व ज़िलाधिकारी और आईएएस स्वर्गीय श्री जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फ़ैसले पर सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन गहरी निराशा व्यक्त करता है।”

ट्वीट में कहा गया है, “इस तरह के कमज़ोर पड़ने से लोक सेवकों के मनोबल पर विपरीत असर होता है, सार्वजनिक व्यवस्था कमज़ोर होती है और न्याय प्रशासन का मज़ाक बनता है।”

आनंद मोहन सिंह अपने बेटे की सगाई के लिए पहले से ही पैरोल पर बाहर हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सोमवार को सगाई समारोह में शामिल हुए और उस समारोह में मौजूद मोहन से मिले। उन्हें रिहा करने का आदेश सोमवार को  आय गया था, जिसे आनंद मोहन के परिवार ने प्रशासन की तरफ़ से एक ‘उत्तम उपहार’ बताया है। आनंद मोहन ने 15 साल जेल में बिताये और हत्या के 29 साल बाद औपचारिक रूप से एक दिन में ही रिहा हो जायेंगे।