पाकिस्तान के कड़े ईशनिंदा क़ानून उसकी पहले से ही पस्त अर्थव्यवस्था में एक और सेंध लगा सकते हैं। ईशनिंदा के आरोपी एक चीनी इंजीनियर की हाल ही में हुई गिरफ़्तारी ने देश के उद्योग और आर्थिक प्रबंधकों की नींद उड़ा दी है। आतंकवादी संगठन पाकिस्तानी तालिबान या टीटीपी से ख़तरे में वृद्धि के कारण इस्लामाबाद की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के साथ-साथ ईशनिंदा क़ानून एक चिंता का विषय है। देश की आर्थिक गतिशीलता के लिए यह गंभीर ख़तरा है।
देश के उद्योगपतियों को इस बात का डर सता रहा है कि यह घटना देश में उस निवेश के प्रवाह को रोक देगी, जो कि पहले से ही एक अभूतपूर्व संकट में है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस चौंकाने वाली घटना से न केवल पाकिस्तान-चीन संबंधों को नुक़सान होगा, बल्कि अन्य विदेशी निवेशकों के लिए भी यह एक निवारक के रूप में काम करेगा। इसके अलावा, पाकिस्तान पर्याप्त मात्रा में ऋण के रोलओवर के लिए चीन की अनुमति मांग रहा है। एक विश्लेषक ने कहा, “यह घटना (चीनी इंजीनियर की गिरफ़्तारी) इस्लामाबाद के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है, क्योंकि यह ऋण की शर्तों पर फिर से विचार करने का आधार बन सकता है।”
इस महीने की शुरुआत में स्वीडन ने बिगड़ती “सुरक्षा स्थिति” को देखते हुए पाकिस्तान में अपने दूतावास को “अनिश्चित काल” के लिए बंद करने का फ़ैसला किया। फ़रवरी में चीनी दूतावास ने “तकनीकी कारणों” का हवाला देते हुए अपने वाणिज्य दूतावास अनुभाग को बंद करने की घोषणा की। हालांकि, इसने बंद करने का कोई कारण नहीं बताया, सूत्रों ने कहा कि देश में बढ़ती राजनीतिक अशांति एक महत्वपूर्ण कारक थी।
2021 में सियालकोट की एक फ़ैक्ट्री में मैनेजर के रूप में काम करने वाले एक श्रीलंकाई को इस्लाम का अपमान करने का झूठा आरोप लगाकर पीट-पीट कर मार डाला गया था।इस तरह की सूची लंबी है। कहा जाता है कि पाकिस्तान में ईरान के बाद दुनिया का दूसरा सबसे सख़्त ईशनिंदा क़ानून है। उल्लेखनीय है कि देश में पिछले तीन दशकों में लगभग 1,500 ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गये हैं।साल 2020 में ही देश में लगभग 200 ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गए- एक साल में यह सबसे ज़्यादा है।
वॉयस ऑफ़ अमेरिका का कहना है, “घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूहों का कहना है कि ईशनिंदा के आरोप भीड़ के हमलों और अभियुक्तों की हत्या के लिए पर्याप्त हैं।”
उस बढ़ती राजनीतिक और साथ ही आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, जो पिछले साल आयी विनाशकारी बाढ़ से और बढ़ गयी थी,इस साल जनवरी में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सर्वसम्मति से ईशनिंदा क़ानूनों का विस्तार करने के लिए मतदान किया था, जो पैग़म्बर मुहम्मद का अपमान करने वाले को मौत की सज़ा देता है। इससे विदेशी निवेशकों और प्रवासियों के बीच की उम्मीदों में और गिरावट आयी है।
डॉन अपने ओपीनियन कॉलम में लिखता है,“राज्य के संस्थानों के माध्यम से प्रचारित अति धार्मिकता और हमारे स्कूलों में ज़हरीली शिक्षा ने हमें बदनाम करके छोड़ दिया है। इसे रोकने के बजाय यह क़ानून एक जंगली और बेकाबू आबादी पैदा कर रहा है। यहां तक कि हमारे दोस्त भी अब हमसे डरते हैं।’
इस समाचार संगठन ने यह भी कहा कि सऊदी अरब सहित अन्य इस्लामिक देश अब सामाजिक ढांचे को खोलकर और विदेशी पूंजी को आमंत्रित करके गियर बदल रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान बदलने के लिए तैयार नहीं है।