हैदराबाद में कार्यरत एक 28 वर्षीय आईटी इंजीनियर हिमाचल की कुल्लू घाटी में एक पैराग्लाइडिंग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गयीं, और इस तरह पहाड़ी राज्य में उसकी हनीमून यात्रा एक त्रासदी में बदल गयी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रिशीना गोलमंडला को रीढ़ की हड्डी में लगी गंभीर चोट के साथ एम्स, दिल्ली लाया गया और 3 घंटे की सर्जरी की गयी।
प्रिशीना के पति, अजय, जो ख़ुद भी एक आईटी इंजीनियर हैं, उन्होंने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि वह पैराग्लाइडिंग के लिए जाने के लिए अनिच्छुक थीं, लेकिन प्रशिक्षक ने उन्हें आश्वस्त किया कि डरने की कोई बात नहीं है।
उन्होंने इस दुर्घटना के लिए प्रशिक्षक को दोषी ठहराया , क्योंकि उसने निश्चित बिंदु से उड़ान नहीं भरी थी और इसके बजाय तिरछा चला गया था, जिसके कारण प्रिशीना ठीक से दौड़ नहीं पायी और 15 फीट की ऊंचाई से गिर गयी। उन्होंने कहा कि पैराशूट भी पूरी तरह से नहीं खुल पाया।
इससे पहले पिछले दिसंबर में पैराग्लाइडिंग त्रासदी में महाराष्ट्र का एक 30 वर्षीय पर्यटक कुल्लू में 300 फीट से गिरकर मर गया था, क्योंकि बीच हवा में हार्नेस का सुरक्षा पट्टा खुल गया था। सुरक्षित रूप से उतरने वाले प्रशिक्षक को लापरवाही से मौत के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था।
पिछले साल जनवरी में बीर बिलिंग पैराग्लाइडिंग साइट के पास एक दुर्घटना में बेंगलुरु के एक 12 वर्षीय लड़के की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने साहसिक खेलों को ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया था।
उस समय यह पता चला था कि कई ऑपरेटरों के पंजीकरण अमान्य थे और एडवेंचर स्पोर्ट्स ऑपरेटरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उपकरण तकनीकी समिति द्वारा निर्दिष्ट मानकों को पूरा नहीं करते थे।
केवल उन ऑपरेटरों को अप्रैल में परिचालन शुरू करने की अनुमति दी गयी थी, जो सभी मानदंडों को पूरा कर सकते थे। कई स्थानीय ऑपरेटर अस्वीकृत स्थानों से अवैध रूप से उड़ान भरते समय मौसम और हवा की गति की उपेक्षा करते हैं। कुछ ने पुराने उपकरणों का भी इस्तेमाल किया, क्योंकि पुराने उपकरण सस्ती क़ीमत पर उपलब्ध हैं।