रूस (Russia) यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर नए दिन यह युद्ध अपना ज़ोर पकड़ता जा रहा है। इस युद्ध को जारी हुए एक साल से ज़्यादा हो गया है। लेकिन युद्ध रुकने का नामोनिशान तक नहीं है। अब रूस (Russia) की सेनाओं ने यूक्रेन के सबसे बड़े बांध को भी उड़ा दिया है। मंगलवार तड़के दक्षिणी यूक्रेन में स्थित नोवा कखोवका बांध में ब्लास्ट हुआ और चारों तरफ पानी तबाही बनकर फैलने लगा। यूक्रेनी मिलिट्री की तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है। अक्टूबर 2022 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी इस बात की आशंका जताई थी कि रूस इस बांध में ब्लास्ट करने की साजिश कर रहा है। यह बांध खेरसॉन क्षेत्र के उस हिस्से में आता है जिस पर रूस का नियंत्रण है। हालांकि इस क्षेत्र के मेयर जिन्हें रूस ने ही नियुक्त किया है, उन्होंने इसे एक ‘आतंकी कृत्य’ करार दिया है।
बांध का खत्म होना स्थानीय क्षेत्र के लिए विनाशकारी
नोवा कखोवाका बांध यूक्रेन की सबसे बड़ी नीपर नदी पर बना है और खेरसॉन शहर से 30 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है। इस बांध का खत्म होना स्थानीय क्षेत्र के लिए विनाशकारी तो होगा ही साथ ही साथ यूक्रेन के युद्ध प्रयासों पर भी असर डालेगा। बांध की वजह से पानी के विशाल भंडार रुका हुआ था। यह बांध 30 मीटर लंबा और सैकड़ों मीटर चौड़ा है। इसे सन् 1956 में कखोवका पनबिजली संयंत्र के तहत तैयार किया गया था। बताया जाता है कि इस बांध में करीब 18 क्यूबिक किलोमीटर पानी है। इतना पानी अमेरिका के यूटा में ग्रेट साल्ट लेक में मौजूद के पानी के बराबर है।
Russian terrorists. The destruction of the Kakhovka hydroelectric power plant dam only confirms for the whole world that they must be expelled from every corner of Ukrainian land. Not a single meter should be left to them, because they use every meter for terror. It’s only… pic.twitter.com/ErBog1gRhH
— Володимир Зеленський (@ZelenskyyUa) June 6, 2023
बांध के फटने से खेरसॉन सहित निचले हिस्सों में बाढ़ आ गई है। खेरसॉन के कुछ हिस्से पर यूक्रेनी सेना ने साल 2022 के अंत में कब्जा कर लिया था। बांध में ब्लास्ट के बाद खेरसॉन क्षेत्र के प्रमुख ने निवासियों से इसे खाली करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पांच घंटे के अंदर पानी गंभीर स्तर पर पहुंच जाएगा। इस बांध से दक्षिण में क्रीमिया में पानी की सप्लाई होती है जिस पर साल 2014 में रूस (Russia) ने कब्जा कर लिया गया था। इसके अलावा जापोरिज्जिया न्यूक्लियर प्लांट में भी पानी की सप्लाई होती है। यह न्यूक्लियर पावर प्लांट यूरोप का सबसे बड़ा प्लांट है।
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