एक तरफ जहां रूस (Russia) बाल्टिक सागर में अपने लड़ाकू विमानों की युद्ध क्षमता और तत्परता परख रहा है तो वहीं दूसरी ओर जर्मनी अपने 4 हजार सैनिक लिथुआनिया में भेजेगा। खबर है कि डेनमार्क यूक्रेन के पायलटों को अमेरिकी एफ-16 उड़ाने की ट्रेनिंग दे रहा है। ये सभी तनाव बढ़ने के संकेत हैं। रूस ने युद्ध और अन्य स्पेशल ऑपरेशन की तैयारी करने में जुटा हुआ है। इसके लिए रूस ने अपने लक्ष्य के साथ बाल्टिक सागर के ऊपर सामरिक लड़ाकू विमान अभ्यास शुरू किया है। इस बात की जानकारी खुद देश के रक्षा मंत्रालय की तरफ से दी गई है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, ‘इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य युद्ध और स्पेशल ऑपरेशन के लिए फ्लाइट क्रू की तत्परता का परीक्षण करना है। मंत्रालय ने टेलीग्राम चैनल पर कहा कि बाल्टिक बेड़े के Su-27 फाइटर जेट के चालक दल ने हवाई हथियारों से क्रूज मिसाइलों और दुश्मन के विमानों पर हमला किया।
मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया क्षमताओं में सुधार के साथ-साथ रूसी लड़ाकू पायलट रूस के कैलिनिनग्राद एक्सक्लेव के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ‘चौबीसों घंटे कॉम्बैट ड्यूटी’ पर हैं। बाल्टिक तट पर पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित कैलिनिनग्राद मॉस्को का सबसे पश्चिमी राज्य है। यह द्वितीय विश्व युद्ध का अंत तक जर्मनी का हिस्सा था। वहीं जर्मनी लिथुआनिया में अपने 4 हजार सैनिक स्थायी रूप से भेजने की तैयारी कर रहा है जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।
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जर्मनी लिथुआनिया में सैनिक उतारेगा
वहीं दूसरी तरफ जर्मनी के रक्षा मंत्री ने कहा है कि रूस के खिलाफ नाटो के पूर्वी हिस्से को मजबूत करने के लिए जर्मनी लिथुआनिया में लगभग 4,000 सैनिकों की स्थायी उपस्थिति स्थापित करेगा। लिथुआनिया की राजधानी विनियस की यात्रा पर बोलते हुए बोरिस पिस्टोरियस ने बाल्टिक देश की लंबे समय से चली आ रही मांग पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘हम 4000 सैनिकों वाली एक ब्रिगेड के बारे में बात कर रहे हैं जिसमें सामग्री, वाहन और इसके साथ आने वाली हर चीज शामिल है।’ उन्होंने कहा कि इसमें ‘कुछ महीनों से अधिक’ समय लगेगा।