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भारत ने दिखाई चीन को उसकी असली औकात, BRI की निकाली हवा!

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद काफी तेजी से बढ़ा है। इसकी एक तस्वीर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की मीटिंग में देखने को मिली। इस मीटिंग में शामिल सभी देशों ने चीन के BRI प्रोजेक्ट का समर्थन किया ,जबकि एकलौता भारत ने इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने से इनकार कर दिया

भारत ने SCO की मीटिंग में चीन को उसकी असली औकात दिखा दी है। भारतीय नेतृत्व ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन को जोरदार झटका दिया है।  भारत ने इस मीटिंग में चीन के अतिमहत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI की पोल खोल दी है। भारत ने चीन के BRI प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। भारत ने सबसे सामने चीन को एक्सपोज करते हुए कहा कि BRI प्रोजेक्ट के कारण दुनिया के कई देश चीन के कर्जजाल में फंसकर बर्बाद हो चुके हैं।

भारत ने SCO की इस मीटिंग में इस प्रोजेक्ट का समर्थन करने से साफ-साफ इनकार कर दिया है। बता दें कि SCO  के इस बैठक में सिर्फ भारत ने ही BRI प्रोजेक्ट का विरोध किया है। बाकी देशों ने चीन के इस प्रोजेक्ट का समर्थन किया।यह मीटिंग वर्चुअली भारत में आयोजित की गई थी। इसमें भारत और चीन के अलावा रूस, पाकिस्तान, कजाकस्तान, किर्गीजस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने हिस्सा लिया। जबकि इस समिट की अध्यक्षता भारत ने की। इस मीटिंग में भारत की ओर से जहां प्रधानमंत्री मोदी शामिल थे वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित अन्य देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया। भारत को छोड़ किसी भी अन्य देशों ने चीन के BRI का विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई। जबकि सबको पता है कि BRI जरिए चीन कई देशों को अपने कर्जजाल में फंसा चुका है।

SCO की मीटिंग में भारत की ओऱ से चीन के BRI का विरोध कोई पहली बार नहीं है,इससे पहले भी भारत चीन के  BRI का विरोध कर चुका है। पिधले साल भारत ने समरकंद घोषणापत्र में इसका विरोध किया था। भारत ने इस प्रोजेक्ट का हमेशा से विरोध किया है। भारत का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत बन रहे चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर न सिर्फ भारत की संप्रभुता का बल्कि उसकी क्षेत्रीय अखंडता का भी उल्लंघन करता है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK से निकलता है।

BRI प्रोजेक्ट के कारण चीन के कर्ज में फंसे हैं कई देश

दुनिया के करीब दर्जन भर देश चीन के कर्ज में फंसे हुए हैं। इन देशों पर चीन के अरबों डॉलर का कर्ज है। लिहाजा ऐसे देश आर्थिक बदहाली की दौर से गुजर रहा है। इन देशों में पाकिस्तान,केन्या,जाम्बिया,लाओस और मंगोलिया शामिल हैं,जिनके ऊपर बेहज कर्ज है। जबकि कई और देश हैं जो इनके झांसे में आकर कर्ज में फंसे हुए हैं। लिहाजा इन देशों के अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा चीन के कर्ज चुकाने में जाता है। हालात ऐसी हो गई है कि इन देशों के पास स्कूल चलाने ,लोगों के लिए बिजली मुहैया सहित पेट्रोल-डीजल के पैसे तक नहीं हैं। चीन के कर्ज के चलते श्रीलंका और जाम्बिया पहले ही डिफॉल्ट हो चुके हैं। जबकि पाकिस्तान भी उसी दिशा की ओर अग्रसर है। पाकिस्तान में टेक्सटाइल सेक्टर में काम कर रहे लाखों कामगारों को निकाला जा चुका है। पाकिस्तान पर भी भारी कर्ज का दवाब है। वहीं,केन्या में सरकार ने पैसे बचाने के लिए सिविल सर्विस वर्कर्स की सैलरी रोक रखी है।

कर्ज चुकाते-चुकाते कई देशों के निकल रहे हैं दम

श्रीलंका साल भर पहले ही डिफॉल्टर हो चुका है। लाखों की संख्या में इंडस्ट्रियल नौकरियां ख़त्म हो चुकी है। महंगाई चरम पर है,देश की आधी आबादी ग़रीबी हो चुकी है। ऐसे में अगर चीन ने ग़रीब देशों को दिए लोन को लेकर अपनी पॉलिशी में बदलाव नहीं किया या फिर नरम रुख नहीं किया तो कई देश डिफॉल्ट हो जाएंगे।

पहले स तरह के मामलों में अमेरिका ,जापान और फ्रांस जैसे देश कर्ज माफ़ कर देते थे। लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। वह ग़रीब देशों से पाइ-पाई वसूलने में विश्वास रखता है। और यही वजह है कि चीन का कर्ज चुकाते-चुकाते कई देश कंगाल हो गए।हालांकि चीन का दावा है कि उसने 23 अफ्रीकी देशों का लोन माफ कर दिया है।वहीं, जानकारों का मानना है कि यह लोन दो दशक से भी अधिक पुराना था और यह उसके कुल लोन का महज पांच फीसदी है।