आईएसआईएस (ISIS) के कब्जे वाले गांवों में स्कूलों, अस्पतालों और नागरिक घरों में रखे गए, निर्दोष लोगों को मारने के लिए डिज़ाइन किए गए घरेलू मौत के जाल को अब यूके स्थित चैरिटी माइन्स एडवाइजरी ग्रुप (एमएजी) द्वारा मौत की गैलरी में उजागर किया गया है। दुनिया में सबसे खूंखार आतंकी संगठनों की जब भी बात होती है, तो उसमें इस्लामिक स्टेट का जिक्र जरूर होता है। इस्लामिक स्टेट की क्रूरता से दुनिया भली-भांति वाकिफ है। बताया गया है कि ISIS ने बच्चों के भोलेपन का फायदा उठाकर अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम दिया है। उसने बच्चों के खिलौनों को हथियारों में तब्दील किया है।
डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, ISIS के आतंकी बच्चों के वीडियो गेम कंट्रोलर्स के भीतर बम फिट किया। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मासूमों को मौत के घाट उतारने के लिए मोबाइल फोन, टीवी रिमोट जैसे घरेलू चीजों का भी इस्तेमाल किया गया। इनके अंदर बम फिट किया गया और जैसे ही कोई इनका इस्तेमाल करता है। वैसे ही एक जोरदार धमाका होता है, जो कई जिंदगियों को एक साथ लील जाता है और अपने पीछे चारों ओर मातम सा माहौल छोड़ जाता है।
ISIS के मंसूबें कैसे आए बाहर?
दरअसल, घरेलू चीजों को बम के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की जानकारी ‘माइन्स एडवाइजरी ग्रुप चैरिटी’ को मालूम चली। ब्रिटेन में मौजूद इस ग्रुप का काम जमीन में बिछी बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों को रिकवर कर उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना है। इराक के उत्तरी हिस्से में जब इस्लामिक स्टेट का कब्जा था तो उसने गांवों और शहरों में बमों को छोड़ दिया। अब माइन्स ग्रुप इन बमों को हटा रहा है।
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इराकी कुर्दिस्तान के चमचमाल माइन्स ग्रुप की ब्रांच ने बताया कि मोबाइल फोन, रिमोट जैसे डिवाइस में बम मिले। इन्हें स्कूल और अस्पतालों से रिकवर किया गया है। 2014 से माइन्स ग्रुप के लिए इराक में काम कर रहे सलीम मोहम्मद ने बताया कि उन्होंने अब तक आईएस के जरिए पीछे छोड़े गए 2300 बमों को रिकवर किया है। उन्होंने बताया कि बैटरी, पानी की टोंटी जैसे चीजों में बम फिट किया गए हैं।