भारत ने अर्जेंटीना को तेजस लड़ाकू विमान (Tejas Fighter Jet) बेचने के लिए उसकी सभी शर्तों को मान लिया है। इसके तहत भारत जल्द ही तेजस में लगे ब्रिटिश कंपनी मार्टिन-बेकर के इजेक्शन सीट को बदलने को तैयार है। इसकी जगह तेजस विमान में अब रूस की के-36 इजेक्शन सीट को लगाने की योजना है। रूस की ज्वेज्दा के-36 इजेक्शन सीट मिग सीरीज और सुखोई 30एमकेआई लड़ाकू विमान में लगाई जाती है। के-36 विमान के मूल वेरिएंट को पहली बार 1960 के दशक में मिग-25 फॉक्सबैट विमान में फिट करने के लिए डिजाइन किया गया था। मिग-25 (MiG-25) फॉक्सबैट दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला लड़ाकू विमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अर्जेंटीना में भारतीय राजदूत दिनेश भाटिया ने 30 अगस्त को अर्जेंटीना वायु सेना के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल जेवियर इसाक से मुलाकात की थी। अर्जेंटीना के रक्षा मंत्री जॉर्ज तायाना ने जुलाई 2023 में अपनी भारत यात्रा के दौरान एलसीए तेजस में 16 ब्रिटिश कंपोनेंट के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने तेजस की खरीद के पहले तेजस से इन सभी ब्रिटिश पुर्जों को बदलने की बात कही थी। एचएएल के अधिकारी ने बताया कि ब्रिटिशि मार्टिन बेकर सीट को रूसी के-36 से बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही के-36 सीटें उपलब्ध हैं। एचएएल के-36 सीटों को लाइसेंस प्राप्त सुखोई एसयू-30एमकेआई विमान में लगाती है।
ये भी पढ़े: India के हथियारों का दुनियाभर में डंका, ब्रह्मोस और Tejas खरीदने में इस देश ने दिखाई दिलचस्पी
तेजस में ब्रिटेन के कौन-कौन से पुर्जे लगे हैं
तेजस के सौदे में बाधा बनने वाले अन्य ब्रिटिश पुर्जों में यूके एयरोस्पेस निर्माता कोबम लिमिटेड का रेडोम और स्कॉटिश डनलप के टायर शामिल हैं। निजी स्वामित्व वाली मार्टिन-बेकर दुनिया में सबसे सफल इजेक्शन सीट निर्माताओं में से एक है। आज 84 देशों में 54 विभिन्न प्रकार के विमानों में 17,000 से अधिक मार्टिन-बेकर इजेक्शन सीटें सेवा में हैं। मार्टिन-बेकर का दावा है कि उसकी इजेक्शन सीट ने अब तक 7699 लोगों की जान बचाई है। यह कंपनी पश्चिमी दुनिया के 75 प्रतिशत बाजार पर हावी है, जिसमें अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली और फ्रांस के विमान बाजार शामिल हैं। अर्जेंटीना वायु सेना 2015 में अपने 16 डसॉल्ट मिराज III लड़ाकू जेट के रिटायरमेंट के बाद नए उत्तराधिकारी की तलाश में है।