अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ एक बार फिर जंग का ऐलान कर दिया है। अजरबैजानी सेना आर्मेनिया के कब्जे वाले में घुस चुकी हैं। बताया जा रहा है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच भीषण गोलीबारी जारी है। अजरबैजानी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि उसने आक्रमण की जानकारी रूस और तुर्की को दे दी है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों में तनाव चरम पर था। आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ने कई मौकों पर एक दूसरे पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया था। तब आर्मेनिया ने दावा किया था कि अजरबैजानी सेना रूस की स्टाइल में आक्रमण की प्लानिंग कर रही है। दोनों देश अगस्त 2020 में तीन महीने की भीषण युद्ध लड़ चुके हैं। इस युद्ध में लगभग 7000 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें सैनिक भी शामिल थे।
अजरबैजान ने रूस और तुर्की को दी जानकारी
ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अजरबैजान ने आर्मेनियाई नागोर्नो-काराबाख में एक सैन्य ऑपरेशन शुरू करने की घोषणा की है। इसका मकसद नागोर्नो-काराबाख को आर्मेनिया के कब्जे से पूरी तरह से मुक्त करना है। नागोर्नो-काराबाख की राजधानी स्टेपानाकर्ट वर्तमान में अजरबैजानी सेना के तोपखाने की गोलीबारी का सामना कर रही है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, शोश गांव के पास और एस्केरन जिले में भी गोलाबारी हो रही है। अजरबैजानी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रूसी शांति सेना कमान और तुर्की-रूसी निगरानी केंद्र नेतृत्व को नागोर्नो-काराबाख के स्वदेशी अर्मेनियाई लोगों के खिलाफ हमला शुरू करने की उनकी योजना के बारे में विधिवत सूचित किया गया था।
आर्मेनिया-अजरबैजान में युद्ध का कारण क्या है
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 4400 वर्ग किलोमीटर में फैले नागोर्नो-काराबाख नाम के हिस्से को लेकर विवाद है। नागोर्नो-काराबाख अंतरराष्ट्रीय रूप से अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन उस पर आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है। 1991 में इस इलाके के लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया। उनके इस हरकत को अजरबैजान ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच कुछ समय के अंतराल पर अक्सर संघर्ष होते रहते हैं।
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1991 के बाद से ही जारी है तनाव
सोवियत संघ के विघटन के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान स्वतंत्र मुल्क बनें। उस वक्त दोनों ने नागोर्नो-काराबाख पर अपना दावा किया। लेकिन, नागोर्नो-काराबाख के जातीय लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र करते हुए आर्मेनिया में शामिल होने का ऐलान कर दिया। नागोर्नो-काराबाख में आर्मेनियाई मूल के लोगों की संख्या ज्यादा है, जो खुद को इस्लामिक देश अजरबैजान को दोस्त के तौर पर नहीं देखते हैं। इसके बाद से ही अजरबैजान और आर्मेनिया नागोर्नो-काराबाख के हिस्से को लेकर कई बार युद्ध लड़ चुके हैं।