आर्मेनिया (Armenia) को भारत की पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर मिलने से अजरबैजान बौखलाया हुआ है। ऐसे में अजरबैजान अब अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान से जेएफ-17 खरीदने की तैयारी शुरू कर दी है। अजरबैजान के अधिकारियों ने हाल में ही पाकिस्तान का दौरा कर जेएफ-17 लड़ाकू विमान का निरीक्षण भी किया है। यह वही अजरबैजान है, जिसने आर्मेनिया (Armenia) को हथियारों की सप्लाई को लेकर भारत के सामने आधिकारिक विरोध दर्ज करवाया था। अजरबैजान का दावा है कि आर्मेनिया को हथियारों की सप्लाई भारत के गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। अजरबैजान इस्लाम के नाम पर कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता है।
पाकिस्तान का दौरा कर रहे अजरबैजानी अधिकारी
रिपोर्ट के अनुसार, अजरबैजान के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल में ही पाकिस्तान के रक्षा उत्पादन मंत्रालय (एमओडीपी) का दौरा किया था। इसमें पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (पीएसी) कामरा के प्रतिनिधि भी शामिल थे। उनकी यात्रा का उद्देश्य जेएफ-17 ब्लॉक 3 लड़ाकू विमान पर अजरबैजानी प्रतिनिधिमंडल को एक व्यापक जानकारी प्रदान करना था। इस खरीद से अजरबैजानी वायु सेना की रक्षा क्षमताओं में जबरदस्त वृद्धि होने की उम्मीद है। अजरबैजान की वायु सेना में वर्तमान में 5 की संख्या में मिग-21, 10 मिग-29 और 11 सुखोई एसयू-25 लड़ाकू विमान शामिल हैं। इनमें से भी सिर्फ 50 फीसदी विमान ही उड़ान भरने के लायक हैं।
रूस के कारण हो रही समझौते में देरी!
अजरबैजान 2011 से ही पाकिस्तान के जेएफ-17 लड़ाकू विमान को खरीदने को लेकर चर्चा कर रहा है, लेकिन अभी तक औपचारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। पाकिस्तान और अजरबैजान में जेएफ-17 की खरीद में देरी होने का प्रमुख कारण रूस को माना जा रहा है। दरअसल, जेएफ-17 थंडर पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है। यह लड़ाकू विमान आरडी-33 जेट इंजन से लैस है, जो रूसी मूल का है। ऐसे में जेएफ-17 की बिक्री से पहले रूस का क्लीयरेंस प्राप्त करना जरूरी है।
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