चालू वित्तीय वर्ष की जुलाई-फ़रवरी अवधि के दौरान पाकिस्तान में बाहर से आने वाली नक़दी के प्रवाह की मंदी के बीच नीति निर्माताओं को उस संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब सहित पश्चिम एशियाई देशों से प्रवाह में गिरावट ने चिंता में डाल दिया है, जिन्हें इस्लामाबाद के पारंपरिक सहयोगी माना जाता है।
स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 2021-22 की जुलाई से फ़रवरी की अवधि के दौरान पाकिस्तान को सऊदी अरब से 5,141.4 मिलियन डॉलर का रेमिंटेंस प्राप्त हुआ था, यह राशि चल रहे वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में 4,346.6 डॉलर है,जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के मुक़ाबले काफ़ी कम है। पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष जुलाई से शुरू होता है। इसी तरह, संयुक्त अरब अमीरात से प्राप्त रेमिंटेंस जो पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में 3,777 मिलियन डॉलर था, अब घटकर 3,197.6 डॉलर रह गया है।
खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) और यूरोपीय संघ से रेमिटेंस भी आसान हो गया है।
हालांकि अमेरिका से भेजे गए रेमिटेंस में वृद्धि हुई है।
इसके अलावा, रमज़ान की अवधि के दौरान भेजी गयी रक़म आम तौर पर अन्य महीनों की तुलना में अधिक रहा है, लेकिन इस वर्ष नागरिक संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि, आमद का एक बड़ा हिस्सा अनौपचारिक चैनलों और हवाला मार्ग के माध्यम से हो रहा है।
एक विश्लेषक का कहना है कि यह प्रवृत्ति देश में बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण है। उन्होंने कहा, “अगर पैसा औपचारिक माध्यमों से भेजा जाता है, तो नागरिकों में डर है कि उन्हें निकासी से रोका जा सकता है.. जिसके कारण कई लोग अनौपचारिक चैनलों या हवाला मार्ग से पैसे भेज रहे हैं।”
इससे पहले, स्थानीय समाचार संगठन जियो टीवी ने कहा था कि पाकिस्तान में लगभग 90 प्रतिशत डॉलर की जमाखोरी की जा रही है, जबकि मुद्रा तस्करी का हिस्सा सिर्फ़ 10 प्रतिशत है।
रमज़ान के दौरान लोगों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। मार्च में पाकिस्तान की रिकॉर्ड 35.4 फ़ीसदी महंगाई दर हो गयी है। खाद्य क़ीमतों में वृद्धि ने देश में कई धर्मार्थ रसोई घरों को भी बंद कर दिया है, जो कि आम तौर पर उपवास के इस पवित्र महीने के आसपास चलती हैं। लेकिन इस साल इस महीने में खाद्य दंगे हुए हैं, जिसमें कई लोग मारे गए हैं।