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पाकिस्तान के लोगों में क़र्ज़ को लेकर IMF की शर्तों से डर, क्योंकि महंगाई में 35% तक की बढ़ोतरी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के लिए बढ़ती चुनौतियां

मार्च में पाकिस्तान की रिकॉर्ड 35.4 फीसदी महंगाई ने देश के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ को ख़तरे के निशन पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस्लामाबाद ने चेतावनी दी है कि स्थिति और खराब हो सकती है। यह आश्चर्य की बात नहीं होगी यदि नीति निर्माताओं का एक वर्ग अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की लंबी मांगों को पूरा करने में जल्दबाजी करने के बजाय डिफ़ॉल्ट के साथ आगे बढ़ने का सुझाव दे ।
स्थानीय समाचार पत्र डॉन ने पिछले महीने कहा था, “व्यय वृद्धि की ओर आंख मूंदकर आईएमएफ़ ने जटिल कर उपायों पर जोर दिया, आर्थिक गतिविधियों पर उनके प्रभाव और विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता के नुकसान के लिए संसाधन आवंटन की अनदेखी की।”
ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण खाद्य और ऊर्जा की कीमतों से प्रेरित मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। जहां एक ओर उच्च कीमतों ने आम नागरिकों के लिए अकल्पनीय परेशनी पैदा कर दी है और दूसरी ओर हताश इस्लामाबाद एक डिफ़ॉल्ट पर घूरते हुए आईएमएफ़ के 7 बिलियन डॉलर के वित्तीय पैकेज को सुरक्षित करने की पूरी कोशिश कर रहा है। वहीं महीनों की बातचीत के बावजूद शरीफ़ के लिए यह सौदा अभी तक फलीभूत नहीं हो पाया है।
फ़रवरी में उनकी भतीजी और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ़ मरियम नवाज़ शरीफ़ की बेटी ने करों में वृद्धि के उनके फ़ैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि था पार्टी सुप्रीमो इस निर्णय को लेने में शामिल नहीं थे।
“यह मेरी सरकार नहीं है। हमारी सरकार तब बनेगी, जब नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान लौटेंगे। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि केवल उनके पिता ही पाकिस्तान को आगे ले जा सकते हैं।
खाद्य क़ीमतों में वृद्धि ने देश में कई चैरिटी किचन को भी बंद कर दिया है, जो आम तौर पर रमज़न के मौसम में ग़रीब तबके को खाना खिलाते थे। सरकारी वितरकों से मुफ़्त खाद्य सामग्री प्राप्त करने के लिए हाथ-पांव मार रहे लोगों के साथ खाद्य दंगे भड़क रहे हैं। रमज़न का सीजन शुरू होने के बाद से अब तक 20 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
24 मार्च को समाप्त सप्ताह के लिए पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 4.2 बिलियन डॉलर था, जो एक महीने के आयात को कवर करने के लिए भी पर्याप्त नहीं था। बढ़ते राजनीतिक और सुरक्षा ख़तरों ने समस्या को और बढ़ा दिया है। अतीत में पाकिस्तान ने 20 से अधिक बार आईएमएफ सहायता मांगी है। आईएमएफ के क़र्ज़ से अस्थायी राहत तो मिल जायेगी। लेकिन दीर्घकालिक आर्थिक पुनरुद्धार के लिए देश को राजनीति के बजाय अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने और संरचनात्मक सुधार लाने की आवश्यकता है।