जनता से धन के कथित अवैध संग्रह और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के हिस्से के रूप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केरल के त्रिशूर में मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड और इसके प्रबंध निदेशक वीपी नंदकुमार के छह परिसरों की तलाशी लेने के बाद आठ बैंक खातों सहित 143 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त कर ली है।
ईडी ने दावा किया कि इन सर्चों के परिणामस्वरूप साक्ष्य का पता चला है कि नंदकुमार द्वारा अपने परिवार के सदस्यों और मणप्पुरम फ़ाइनेंस के शेयरों में अचल संपत्तियों में इस अपराध से हुई आय का निवेश किया गया है।
ये सबूत कि नंदकुमार ने अपनी मालिकाना फ़र्म, मणप्पुरम एग्रो फार्म्स (एमएजीआरओ) के माध्यम से आरबीआई की मंज़ूरी के बिना ही सार्वजनिक जमा के रूप में बड़े पैमाने पर नक़द लेनदेन को दिखाते हैं ।
सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी, मणप्पुरम फ़ाइनेंस लिमिटेड (MFL) के विभिन्न शाखा कार्यालयों में उसके द्वारा अपने कर्मचारियों के माध्यम से अवैध रूप से जमा राशि एकत्र की गयी थी।
जब आरबीआई ने इन उल्लंघनों का पता लगाया, तो उसने फ़र्म को जमाकर्ताओं को राशि वापस करने का निर्देश दिया। आरोपियों ने आरबीआई को बताया कि जमाकर्ताओं को पैसा वापस कर दिया गया है, लेकिन ईडी की जांच में पता चला कि जमाकर्ताओं के पुनर्भुगतान या केवाईसी विवरण का कोई सबूत ही नहीं है।
वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा कि 53 करोड़ रुपये की राशि को नक़द में लौटाया गया है, जिसमें पुनर्भुगतान या केवाईसी का कोई प्रमाण नहीं है।
“छापे के दौरान, यह पाया गया कि अपराध की आय को वीपी नंदकुमार द्वारा अपने, अपनी पत्नी और बच्चों के नाम पर और मणप्पुरम फ़ाइनेंस लिमिटेड के शेयरों की अचल संपत्तियों में निवेश किया गया था। इसलिए, ईडी ने कहा कि उनकी संपत्ति कुल 143 करोड़ रुपये धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जब्त की गयी है।
ज़ब्त की गयी संपत्तियों में आठ बैंक खाते, सूचीबद्ध शेयरों में निवेश और मणप्पुरम फ़ाइनेंस लिमिटेड के शेयर शामिल हैं। इसके अलावा, कई आपत्तिजनक दस्तावेज़, जो मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत हैं, और 60 अचल संपत्तियों के दस्तावेज़ भी तलाशी के दौरान ज़ब्त किए गए।
मणप्पुरम फ़ाइनेंस लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी और अन्य कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग में मदद करने का संदेह है।