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PM Gati Shakti की सिर्फ़ घरेलू इन्फ्रा पर नहीं, पूरे एशिया पर भी नज़र

कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर के सुधार पर भारत की नज़र

पीएम गति शक्ति के तहत लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए भारत का आक्रामक प्रयास लगातार देश के बाहर की परियोजनाओं तक बढ़ गया है। जबकि अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनज़र बुनियादी ढांचे के विकास में शामिल सभी मंत्रालयों को देश के भीतर चल रही परियोजनाओं के निष्पादन में तेज़ी लाने और अनुमानित समयसीमा का पालन करने के लिए कहा गया है,वहीं केंद्र ने अन्य बड़ी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर भी दबाव डाला है। इसमें भारत को रूस और ईरान के साथ-साथ अन्य देशों से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर लंबा अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा और 1,400 किलोमीटर लंबा भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग शामिल है, जिसके पूरा होने पर न केवल आर्थिक क्रियाकलाप तथा व्यापार में तेज़ी आयेगी, बल्कि पर्यटन और अन्य चीजों का भी विस्तार होगा। ।

चूंकि भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को छूना है,इसलिए ख़ुद को दुनिया की अगली फैक्ट्री के रूप में स्थापित करना होगा, ऐसे में इन अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं को पूरा करना महत्वपूर्ण होगा।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग पर काम 70 फ़ीसदी पूरा हो चुका है।

हालांकि, इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हुई है, लेकिन शीर्ष अधिकारियों की नियमित निगरानी से अब काम में तेज़ी आ गयी है। त्रिपक्षीय राजमार्ग को अंततः वियतनाम और लाओस में दा नांग तक विस्तारित किए जाने की उम्मीद है।

चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के बीच ये बुनियादी ढांचा परियोजनायें भारत को कनेक्टिविटी के मामले में एक सुविधाजनक स्थिति बनायेगी।

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवहन क्षेत्र में बाधा डालने वाले मुद्दों को संबोधित करने और लागत कम करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रसद नीति शुरू की थी।

विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक ने इस वर्ष भारत को लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे में 139 देशों में से 38वें स्थान पर रखा है। हालांकि, यह भारत की पिछली रैंकिंग की तुलना में छह पायदान का सुधार है, ब्रिक्स देशों में चीन और दक्षिण अफ्रीका नई दिल्ली से आगे हैं।

एक अंदरूनी सूत्र ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “इन परियोजनाओं की निगरानी एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन अब यह और अधिक गहन होगी, केंद्र निष्पादन में कोई अनावश्यक देरी नहीं चाहता।”

गडकरी ने यह भी कहा कि 63,72,613 किमी के साथ भारत चीन को पछाड़कर सबसे बड़े सड़क नेटवर्क वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। 68,03,479 किमी के साथ अमेरिका शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। 2015 में भारत का सड़क नेटवर्क 54,00,000 किमी तक फैला हुआ था।

कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी बुनियादी ढांचे के विकास कार्यक्रम की प्रगति पर बारीक़ी से नज़र रख रही हैं।

भारत में विस्तार करने की योजना बना रही एक जापानी कंपनी के मुख्य कार्यकारी ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “जैसा कि पीएम मोदी चाहते हैं कि कंपनियां दुनिया के लिए भारत में निर्माण करें, ऐसे में ये बुनियादी ढांचा परियोजनायें बहुत महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि तब माल की आवाजाही आसान, निर्बाध और लागत प्रभावी हो जायेगी..भारत के लिए प्रमुख कमियों में से एक ख़राब बुनियादी ढांचा की रही है, लेकिन अब यह परिदृश्य बहुत तेज़ी से बदल रहा है।”