Hindi News

indianarrative

खाद्य पदार्थों की कमी को कम करने के लिए नेपाल और भूटान का सहारा, मुद्रास्फीति को कम करने के लिए रोडमैप तैयार

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति मई के 4.87 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई में 7.44 प्रतिशत पर पहुंचने के साथ ही भारत क़ीमतों पर क़ाबू पाने के उद्देश्य से प्रमुख खाद्य पदार्थों के आयात को बढ़ाने पर विचार कर सकता है। सीपीआई में उछाल खाद्य क़ीमतों से प्रेरित है। एक आधिकारिक सूत्र ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि सरकार का प्राथमिक ध्यान अब खाद्य मुद्रास्फीति पर क़ाबू पाने पर है। खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में बढ़ोतरी का एक कारण तो असमान बारिश के कारण खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में रुकावट का पेश आना है।

Price & Inflation Control: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति मई के 4.87 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई में 7.44 प्रतिशत पर पहुंचने के साथ ही भारत क़ीमतों पर क़ाबू पाने के उद्देश्य से प्रमुख खाद्य पदार्थों के आयात को बढ़ाने पर विचार कर सकता है। सीपीआई में उछाल खाद्य क़ीमतों से प्रेरित है। एक आधिकारिक सूत्र ने इंडिया नैरेटिव को बताया कि सरकार का प्राथमिक ध्यान अब खाद्य मुद्रास्फीति पर क़ाबू पाने पर है। खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में बढ़ोतरी का एक कारण तो असमान बारिश के कारण खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में रुकावट का पेश आना है।

सोर्सिंग को आसान बनाने के लिए प्रमुख खाद्य पदार्थों के आयात शुल्क को कम किया जा सकता है या शून्य भी किया जा सकता है।

आपूर्ति बढ़ाने के प्रयास में भारत पहले से ही गेहूं पर आयात कर को कम करने या समाप्त करने पर विचार कर रहा है, जो कि 40 प्रतिशत है। सूत्र ने बताया है कि हालांकि भारत कई देशों से आयात पर विचार कर रहा है, लेकिन रसद सुविधा के लिए पड़ोसी देशों का लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है।

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार मोजाम्बिक और म्यांमार से तुअर दाल (अरहर दाल) का आयात करेगी। हालांकि, भारत के पास मूंग दाल का पर्याप्त भंडार है, लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाना शुरू कर दिया है कि इसका वितरण समान रूप से हो, ताकि इसकी कमी को दूर किया जा सके। सीतारमण ने कहा है कि सरकार भंडार बढ़ाने के लिए बाहर से मसूर दाल मंगाने पर भी विचार करेगी।

टमाटर और आलू का आयात भी जारी है।

जहां नेपाल टमाटर की आपूर्ति कर रहा है, वहीं भारत ने भूटान से आलू का आयात जारी रखने का फ़ैसला किया है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 4 अगस्त को अपने अधीनस्थ कार्यालयों को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि उसके तहत सक्षम प्राधिकारी ने ‘आवश्यक फ़ाइटोसैनिटरी शर्तों का पालन करते हुए नेपाल से भारत में खपत के उद्देश्य से टमाटर के फलों के आयात के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।’ इस सर्कुलर में मौजूदा प्रावधान 31 अक्टूबर तक खुला रहेगा, सूत्रों ने कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो बाज़ार की यह सुलभता लंबे समय तक खुली रहेगी।

भारत भूटान से भी आलू आयात करता रहा है। हालांकि, आयात छूट 30 जून को समाप्त होनी थी। लेकिन, विदेश व्यापार महानिदेशक ने इस उपाय को आगे बढ़ा दिया है। नई आयात अधिसूचना के अनुसार, 30 जून, 2024 तक भूटान से आलू के आयात को बिना किसी लाइसेंस के स्वतंत्र रूप से अनुमति दी गयी है।

सूत्रों का कहना है कि जलवायु परिस्थितियों के ठीक होने पर आने वाले हफ़्तों में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति भी कम होने की उम्मीद है।

इस वर्ष ख़रीफ़ सीज़न के दौरान कुल बोया गया क्षेत्र 733.42 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले वर्ष यह 725 लाख हेक्टेयर था। जबकि चावल, मक्का और बाजरा का बुआई क्षेत्र पिछले साल की तुलना में बढ़ा है, लेकिन दालों के लिए यह थोड़ा कम है। पिछले महीने जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, दालों की बुआई 85.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जो पिछले साल के 95.22 लाख हेक्टेयर से कम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए महंगाई का मुद्दा भी उठाया था।

क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए और भी क़दम उठाने का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि भारत दुनिया के बाक़ी हिस्सों की तुलना में बेहतर स्थिति में है, लेकिन सरकार लापरवाह नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा,“आज दुनिया महंगाई के संकट से जूझ रही है। मुद्रास्फीति ने पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को अपनी गिरफ़्त में ले लिया है…यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब हम अपनी ज़रूरत का सामान आयात करते हैं, तो हम मुद्रास्फीति भी आयात कर लेते हैं।”

पीएम ने आश्वस्त करते हुए कहा,“हम सिर्फ़ इसलिए संतुष्ट नहीं हो सकते कि हमारी स्थिति बाक़ी दुनिया से बेहतर है। मेरे देश के नागरिकों पर महंगाई का बोझ और कम हो, इसके लिए मुझे और क़दम उठाने होंगे। हम वे क़दम उठायेंगे और मेरे प्रयास जारी रहेंगे।”