कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर की जनता महांगाई की मार झेल रही है। हर जगह खाने की चीजों से लेकर लगभग सभी के दामों में इजाफा है। भारत में भी पेट्रोड-डीजल संग खाने के तेल के दामों में भी तेजी है। ऐसे में आम जनता को केंद्र सरकार राहत देने पर विचार कर रही है। सरकार खाने के तेल के दामों में कटौती कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो आम जनता के लिए यह बड़ी राहत की बात होगी। क्योंकि, खाने के तेल के दाम में इस वक्त काफी इजाफा आ चुका है।
सरकार एडिबल ऑयल के इंपोर्ट पर सेस घटाने पर विचार कर रही है। इससे कीमत में नरमी आएगी और लोगों को राहत मिलेगी। भारत अपनी जरूरत का आधा तेल इंडोनेशिया से आयात करता था। इंडोनेशिया ने अचानक से पाम ऑयल और क्रूड पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दिया जिसके कारण भारत में खलबली मच गई है। मांग बढ़ने और सप्लाई घटने के कारण कीमत में तेजी से उछाल आ रहा है। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स एडिबल ऑयल इंपोर्ट पर 5 फीसदी का एग्री सेस कम करने की तैयारी चल रही है।
इंडोनेशिया के बाद इंडिया सबसे ज्यादा मलेशिया से भी तेल आयात करता है। हालांकि, मलेशिया पहले ही अपने पुराने ग्राहकों को आपूर्ति करने में अक्षमता दिखा रहा है. ऐसे में नए विकल्प की भी तलाश की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इंडोनेशिया के साथ डिप्लोमैटिक बातचीत भी कर रहा है। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल एक्सपोर्टर है। उसके ताजा फैसले से पूरी दुनिया में हलचल है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, एडिबल ऑयल क्राइसिस को लेकर संबंधित अधिकारियों का कहना है कि, अपने देश में खाने के तेल के दूसरे विकल्प भी हैं, लेकिन इनकी कीमत चिंता का विषय है। कीमत कंट्रोल करने के लिए एग्रीकल्चर सेस कट का फैसला लिया जा सकता है।
बता दें कि, भारत- इंडोनेशिया से पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है। हर साल यह करीब 9 मिलियन टन पाम ऑयल इंडोनेशिया से आयात करता है। यह भारत की ओवरऑल जरूरत का 40 फीसदी के करीब है। फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि, ऑयल इंपोर्ट पर केवल 5 फीसदी का सेस लगता है। अगर इसे भी माफ कर दिया जाता है तो कीमत पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि, सरकार अवेयरनेस प्रोग्राम चला सकती है जिसमें लोगों से पाम ऑयल की जगह दूसरे तेलों के इस्तेमाल करने की अपील की जा सकती है।