एक समय था जब जम्मू-कश्मीर में अमन और शांती हुआ करती थी। यहां मासूमों और बेगुनाहों की बेवजह जानें नहीं जाया करती थी। घाटी में इतना सुकून था कि एक घर में जब किसी को दर्द होता तो उसकी आवाजों पूरी घाटी में पहुंच जाती थी। लेकिन एक वो भी दौर आया जब घाटी में खून की नदियां बहने लगीं, बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा जाने लगा। पूरी घाटी में कश्मीरी पंडितों के खून से रंग दी गई। पाकिस्तान ने यहां जिहाद को लाकर खड़ा कर दिया है और रातों रात घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकला दिया गया। अब घाटी कश्मीरी पंडितों की नहीं बल्कि जिहादियों की हो गई जहां वो जब चाहे तब बेगुनाओं को मौत के घाट उतार देते, माताओं बहनों का रेप कर देते। आतंक अपने चरम पर पहुंच गया आए दिन सेनाओं के काफिले से लेकर पुलिस पर हमले होने लगे। हिंदी सिनेमा अभिनेता अनुपम खेर भी कश्मीरी पंडित हैं और उन्होंने भी आतंक वो काली रात देखी है जब उन्हें अपना सबकुछ छोड़कर जाना पड़ा। अनुपम खेर की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज हो चुकी है और इसी फिल्म में कश्मीरी पंडितों के दर्द और घाटी में आतंक पनपने की कहानी बताई गई है। इसके साथ ही अभिनेता ने एक वीडियो शेयर कर कई किस्सें बयां किया है।
कश्मीरी पंडितों को घाटी से निकालकर यहां रातों-रात जिहाद को लाकर बसा दिया गया और ये जिहाद कई सालों को खून की नदियां बहाते रहा। लेकिन, साल 2014 में आई बीजेपी की सरकार और देश ने प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को चुना। शुरुआत में तो आतंकियों ने कश्मीर को खुब दहलाया लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने से पहले ही कसम खा चुके थे कि वो घाटी को आतंक से मुक्त करा कर ही मानेंगे और उन्होंने घाटी में सेना को खुली छूट दे दी की यहां से आतंक का खात्मा चाहिए। पाकिस्तान ने यहां से अशांति फैलाने की लाख कोशिश की 'उरी में अटैक कर और पुलवामा में अटैक' कर वो खुशी मना रहा था। लेकिन, केंद्र में मोदी सरकार की ताकत को उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि ये पहले वाला भारत नहीं बल्कि नया भारत है जो अपने जवानों के बलिदान को जाया नहीं होने देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की अनुमती दे दी और पाकिस्तान की खुशी मातम में बदल गई। यहां से पाकिस्तान को लग गया कि अब घाटी में आतंक का खात्म हो कर रहेगा। इसके साथ ही जब आर्टिकल 370 ए हटा तो पाकिस्तान समर्थक कश्मीरी नेता बौखला उठे। किसी को अंदाजा ही नहीं था कि पीएम नरेंद्र मोदी इतना बड़ा फैसला भी ले लेंगे। लेकिन उन्होंने अपनी बातों को अमल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद घाटी से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों के जान में जान आई और उन्हें यह भरोसा हो गया उन्हें भी अपना हक जरूर मिलेगा। अनुपम खेर कश्मीरी पंडित हैं और घाटी में जो हुआ उसे वो आजतक नहीं भुले हैं।
अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर अपनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से संबंधित एक छोटा-सा वीडियो साझा किया है। इस वीडियो में अनुपम खेर कहते हैं, "आप सब तक पहुंचने के लिए झटपटा रहा हूं। मुझसे मिलिए।" शुरुआत में अनुपम खेर बोलते हैं, "ईश्वर की कृपया और आप सबके प्यार व आर्शीवाद से, मैं 522 फिल्में कर चुका हूं। अनुपम खेर हूं। पात्र बनता हूं। अभिनय करता हूं। हंसाता हूं। रुलाता हूं। यही मेरा सारांश है। लेकिन इस बार मैं कोई पात्र नहीं बना। मैंने अभिनय नहीं किया और द कश्मीर फाइल्स कोई डायलॉग भरी कहानी भी नहीं है।
जिहादियों के लिए आधी रात को खुलने वाली अदालतों ने हमे सुनने से ही इनकार कर दिया…. pic.twitter.com/AMXut7yJwv
— Rakesh Singh (@pratapsrakesh) March 12, 2022
कश्मीरी पंडितों की बात करते हुए अनुपम खेर कहते हैं कि, 32 साल पहले लाखों कश्मीरी हिंदू तहस-नहस कर दिए गए थे। मेरे हाथ, पाओं, बाजू, ये शरीर जैसे रातों-रात जिहाद ने रौंद डाला। 90 करोड़ का यह भरा-पूरा देश बेखबर रहा। पुलिस मानों गायब हो गई। सेना छावनियों में पड़ी रही। और कश्मीर हम हिंदूओं से खाली करा लिया गया। निराश और हताश अभिनेता शिकायत करते हैं कि "कश्मीरी पंडितों के पलायन पर कोई जांच नहीं हुई। आज तक कोई आयोग नहीं बैठा। कोई मुकदमा नहीं चला। कोई दोषी नहीं पाया गया। किसी को सजा नहीं हुई। हां मुद्दा जरूर उछाला गया। लेकिन जिहादियों के लिए आधी रात में खुलने वाली अदालत ने हमें सुनने से भी इनकार कर दिया।" अपनी फिल्म को लेकर वो आगे कहते हैं कि, द कश्मीर फाइल्स फिल्म से कहीं बढ़कर, आप सबकी की अंतरआत्मा की अदालत में हम कश्मीरी हिंदूओं की एक दस्तक है। मैं अनुपम खेर नहीं हूं। मैं अब पुष्कर नाथ हूं। आप सब तक पहुंचने के लिए झटपटा रहा हूं। मुझसे मिलिए, द कश्मीर फाइल्स में।