फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गायक और गलत लेखक भूपेंद्र सिंह का सोमवार को निधन हो गया है। उनके निधन के बाद से फिल्मी जगत में गम का माहौल है। अपनी आवाज और गाने के अनोखा अंदाज को लेकर पहचानने जाने वाले भूपेंद्र अपने करियर में कई हिट गाने दिए हैं। मेरी आवाज ही पहचान है. गर यार रहे, जैसे गानों को आवाज उन्होंने ही दिया है। 82साल के भूपेंद्र सिंह को पिछले कुछ दिनों से यूरिनरी इंफेक्शन समेत कई बीमारियां थी। भूपेंद्र सिंह बचपन में अपने पिता की सख्ती के चलते म्यूजिक से नफरत करने लगे थे।
8अप्रैल 1939को पंजाब के अमृतसर में जन्मे भूपेंद्र सिंह के पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाब के मशहूर संगीतकारों में शुमार थे और वो अमृतसर के खालसा कॉलेज में संगीज के प्रोफेसर थे। उन्हें गिटार सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद के तौर पर जाना जाता था। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपेंद्र को संगीत से नफरत हो गई थी।
बाद में भूपेंद्र सिंह का परिवार दिल्ली आ गया और यहीं से उनके हुरन को उड़ान मिली और ये उड़ान देने वाला ऑल इंडिया रेडिया था। जहां पर उनके करियर का शुरुआत हुआ। यहां पर वो एक गजल भी गाया करते थे। इसी दौरान संगीतकार मदन मोदन ने उनका हुनर देखा और उन्हें मुंबई बुला लिया। जिसके बाद मदन मोहन ने उन्हें फिल्म हकीकत में मोहम्मद रफी के साथ होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा गाने का मौका दिया था। यह गाना तो बेहद ही लोकप्रिय हुआ, लेकिन भूपेंद्र सिंह गुमनाम ही रहे।
भूपेंद्र सिंह के शादी की बात करें तो वो 1980 के दशक में एक गाने की रिहर्सल कर रहे थे इस दौरान वो बांग्लादेश की एक हिंदू गायिका मिताली सिंह से शादी कर ली। इसके बाद दोनों ने कई अच्छे कार्यक्रम पेश किये, जिससे दोनों को ही नहीं पहचान मिली। उनके सुपरहिट गानों की बात करे तो, उन्होंने दो दिवाने इस शहर में, नाम गुम जायेगा, करोगे याद तो, दिल ढूँढता है, मीठे बोल बोले, कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, किसी नज़र को तेरा इन्तज़ार आज भी है। जैसे सुपरहिट गानों को अपनी आजव दी है। उनके गानों को लोग आज भी याद करते हैं।