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Birju Maharaj: 11 लड़कियों संग जन्मे ‘बृजमोहन’! 13 साल की उम्र से बन गए कथक गुरू, जानें ‘बिरजू महाराज’ बनने का सफर

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भारत और पूरे दुनिया में अपने कथक के लिए मशहूर पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया। पद्म विभूषण बिरजू महाराज ने रविवार और सोमवार के बीच रात को अंतिम सांस ली। पंडित बिरजू महाराज के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट किया- 'भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!'

बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के अस्पताल में हुआ था। बिरजू महाराज जिस अस्पताल में पैदा हुए, उस दिन वहां उनके अलावा बाकी सब लड़कियों का जन्म हुआ था। उस दिन उस अस्पताल में 11 लडकियां पैदा हुईं थी। पैदा होते के साथ उनका नाम दुखहरण रखा गया, लेकिन कुछ घंटों बाद ही कहा जाने लगा कि चारों तरफ गोपियां बीच में कन्हैया आए है! इसलिए उनका नाम 'बृजमोहन' रख दिया गया। इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो 'लखनऊ घराने' से थे और वे अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे।

तीन साल की उम्र में ही बिरजू की प्रतिभा दिखने लगी थी। इसी को देखते हुए पिता ने बचपन से ही अपने यशस्वी पुत्र को कला दीक्षा देनी शुरू कर दी। लेकिन पिता की शीघ्र ही मृत्यु हो जाने के बाद उनके चाचाओं, सुप्रसिद्ध आचार्यों शंभू और लच्छू महाराज ने उन्हें प्रशिक्षित किया। कला के सहारे ही बिरजू महाराज को लक्ष्मी मिलती रही। एक पुराने इंटरव्यू में बिरजू महाराज ने बताया था कि पिता के निधन के बाद वह दिल्ली आ गए थे और 13 साल की उम्र में परिवार की मदद के लिए उन्होंने कथक सिखाना शुरू कर दिया था।

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आपको बता दें कि बिरजू महाराज ने बॉलीवुड में कई गानों को कोरियोग्राफ किया है। बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था। इसके अलावा इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में म्यूजिक भी दिया था। बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही इन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिला है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय ने बिरजू महाराज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी थी। साल 2012 में विश्वरूपम फिल्म में डांस कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2016 में बाजीराव मस्तानी के 'मोहे रंग दो लाल' गाने की कोरियाग्राफी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था।