'शराबी', 'नमक हलाल', 'लावारिस', 'जंजीर' जैसी फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता ओम प्रकाश ने अपने शानदार अभिनय से करीब 30 बरस तक दर्शकों का मनोरंजन किया। आज प्रसिद्ध अभिनेता ओम प्रकाश की बर्थ एनिवर्सरी है। ओम प्रकाश का पूरा नाम ओम प्रकाश छिब्बर था। उनका जन्म 19 दिसंबर 1919 में जम्मू में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा लाहैर में हुई थी जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा है। कम लोगों को ही पता होगा कि थियेटर से अपना करियर शुरू करने वाले एक्टर क्लासिकल म्यूजिक में भी पारंगत थे। जम्मू के प्रसिद्ध दीवान मंदिर नाटक समाज के प्ले में हिस्सा लिया करते थे।
ओम प्रकाश ने 1950 से लेकर 1980 तक फिल्मों के पॉपुलर सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर काम किया था। उनके जीवन की आखिरी फिल्म 'नौकर बीवी का' थी। फिल्मों में उनकी एंट्री किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। दरअसल, एक दिन वो अपने एक दोस्त के यहां शादी में गए हुए थे, जहां पर दलसुख पंचोली ने उन्हें देखा और तार भेजकर उन्हें लाहौर बुलवाया। दलसुख पंचोली ने अपने फिल्म 'दासी' के लिए अभिनेता ओम प्रकाश को 80 रुपये वेतन पर कॉन्ट्रैक्ट कर लिया। ये फिल्म साल 1950 में रिलीज हुई। फिल्म में उनकी एक्टिंग को काफी सराहा गया।
इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। जिनमें दुनिया गोल है, झंकार, लकीरें, भैयाजी, गेटवे ऑफ इंडिया, जैसी फिल्में शामिल है। ओम प्रकाश ने अपनी बायोग्राफी में बताया है कि फिल्मों में आने से पहले वो रेडियो में काम करते थे। हर दिन अपना प्रोग्राम खत्म करके उससे मिलते और दोनों वॉक पर जाते थे। ओम अपने इस प्यार को शादी में बदलना चाहते थे। इसी दौरान ओम प्रकाश की मां बीमार पड़ीं और वह अपने बेटों को शादीशुदा देखना चाहती थीं, लेकिन ओम के बड़े भाई ने शादी करने से इनकार कर दिया तो मां ने कहा तुम्ही शादी कर लो। मेरी हिम्मत नहीं थी कि मैं घर में अपने इश्क के बारे में बता पाता। उस लड़की के घरवाले मेरे खिलाफ थे क्योंकि मैं हिंदू था।
ओम प्रकाश के मुताबिक- 'एक दिन मैं पान की दुकान पर खड़ा था। एक महिला मेरे पास आई और बोली वह विधवा हैं उनकी 4 बेटियां हैं। मुझे अपना दामाद बनाना चाहती हैं और इस बारे में मेरी मां से भी बात हो गई। मेरे आगे उन्होंने अपना आंचल फैला कर विनती की तो मैं भावुक हो गया और शादी के लिए मान गया। अगले दिन जब मैं अपनी प्रेमिका से मिला और उसे सारी कहानी बताते हुए कहा कि यही ठीक रहेगा क्योंकि तुम्हारी फैमिली तो वैसे ही मुझे पसंद नहीं करती। जैसे ही उसने ये सुना सिर पकड़ कर वहीं सड़क पर बैठ गई, कुछ देर बैठी रही फिर अपने घर चली गई। वह मेरी शादी में भी आई थी।'
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