Covid-19: देशभर में एक बार फिर से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस बीच हाल ही में 12 साल से कम उम्र के बच्चों में वायरस से संक्रमित होने की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, ये मामले ज्यादातर हल्के ही रहे हैं। डॉक्टर मोटापे, अस्थमा और अन्य इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड स्थितियों से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को चेतावनी दी है कि वे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। इसी के साथ अस्पतालों में चाइल्ड ओपीडी में कोविड जैसे लक्षणों वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
एडेनेवायरस से संक्रमित बच्चे हो रहे एडमिट
डॉक्टरों का कहना है एडेनोवायरस (कोविड के समान) से पीड़ित दो साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने में भी वृद्धि हुई है। डॉक्टर्स के अनुसार एडेनोवायरस और कोरोना वायरस के बीच बहुत बारीक अंतर है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना टेस्ट के सामान्य सर्दी/बुखार/एडेनोवायरस और कोविड-19 के बीच अंतर को जानना मुश्किल है।
फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज में चाइल्ड डिजीज के एचओडी डॉ. राहुल नागपाल ने कहा कि कोविड जैसे लक्षणों वाले कम से कम 10 बच्चे रोजाना उनकी ओपीडी में आ रहे है। इनमें से 2-3 होम टेस्ट (एंटीजन सेल्फ टेस्ट) के साथ कोविड पॉजिटिव पाए गए थे। डॉक्टर्स का कहना है कि हम सभी माता-पिता को लक्षणों के मामले में आरटी-पीसीआर टेस्ट की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश पैरंट्स ऐसा करने की अनिच्छा दिखाते हैं क्योंकि बच्चों को यह असहज लगता है। एक साल से कम उम्र के छोटे बच्चों को, कभी-कभी, संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, लेकिन इस एज ग्रुप से ऊपर के बच्चों को हल्का दर्द और बुखार होता है। वे अधिकतर एक या दो दिन में ठीक हो जाते हैं।
ये भी पढ़े: Corona Update: सावधान! देश भर में आज से मॉक ड्रिल, कितने तैयार हैं हम?
बच्चों में क्या हैं लक्षण
छोटे बच्चों में बीमारी के लक्षणों में बुखार, नाक बहना और खांसी शामिल हैं। भले ही उनकी छाती साफ रहती हो। डॉक्टर्स का कहना है कि 48 घंटे में उनकी स्थिति में सुधार हो जाता है। 2-3 दिन में बुखार भी उतर जाता है। हालांकि, खांसी 2-3 सप्ताह तक बनी रहती है। निमोनिया आमतौर पर सामान्य और स्वस्थ बच्चों में नहीं देखा गया है। डॉ. नागपाल ने कहा कि कहा अस्थमा सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों में और स्टेरॉयड या गुर्दे की बीमारी सामने आ रही है। वहीं, ल्यूकेमिया से पीड़ित बच्चों में छाती के संक्रमण के मामले देखने को मिल रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को स्कूल में मास्क पहनना शुरू कर देना चाहिए।