जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार काफी सख्त है। केंद्र की मोदी सरकार यहां पर कई सारे योजनाओं को लाकर यहां के युवाओं के भविष्य के लिए काम करना चाहती है और कई सारी योजनाओँ पर काम कर रही है। कश्मीर इस वक्त तेजी से विकास की राहत पर है। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला। वो लगातार यहां पर किसी आतंकी गतिविधि को अंजाम देने की फिराक में है। लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा सलाहकार अजित डोशाल संग ऐसी रणनीति तैयार की है कि पाकिस्तानी सेना थेर-थर कांप रही है। क्योंकि, अब कश्मीर में आतंकियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ और अधिक सख्ती होगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक उच्चस्तरीय बैठक ली। जिसमें जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बैठक में गृह मंत्री ने सुरक्षा ग्रिड को और अधिक मजबूत करने के निर्देश दिए ताकि सीमा-पार से घुसपैठ शून्य हो और आतंकवाद का उन्मूलन हो सके। शाह ने बैठक में सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों की सराहना की, जिससे पिछले कुष सालों में घाटी में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, आतंकी घटनाएं 2018में 417से घटकर 2021में 229हो गई हैं, जबकि सुरक्षा बलों के शहीद हुए कर्मियों की संख्या 2018में 91से कम होकर 2021में 42हो गई है।
इस बैठ में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा जम्मू-कश्मीर प्रशासन औऱ सेना सहित भारत सरकार के वरिष्ट अधिकारी भी शामिल हुए। दरअसल, इस वक्त सरकार घाटी में आतंकी वारदातों पर नकेल कसने के लिए चौतरफा कोशिश कर रही है। सुरक्षाबल और स्थानीय पुलिस एक साथ मिलकर कई अभियान के जरिए आतंकियों का जमीनी नेटवर्क तोड़ रही हैं। ओवर ग्राउंड वर्कर बड़ी संख्या में पकड़े गए हैं, जिससे आतंकियों को साजो-सामान पहुंचाने और उन्हें अन्य मदद मुहैया कराने वाला नेटवर्क भी कमजोर पड़ा है।
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इसके साथ ही स्थानीय जांच एजेंसियों के गठन के बाद से आतंकी और कट्टरपंथी गुटों के खिलाफ कार्रवाई में भी तेजी आई है। स्थानीय इनपुट और सहयोग से केंद्रीय एजेंसियों की जांच प्रक्रिया भी मजबूत हुई है। कहा जा रहा है कि, इसके चलते सीमा पर मजबूत ग्रिड की वजह से घुसपैठ रोकने में काफी मदद मिली है। अब कोशिश है कि इसे पूरी तरह से अभेद्य बनाकर घुसपैठ की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म किया जाए।