इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय मछुआरा समुदाय के विरोध के कारण बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) ने बांद्रा-वर्ली सी लिंक के साथ 10.6 किलोमीटर हाई-स्पीड मुंबई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट (एमसीआरपी) को जोड़ने के लिए “बो स्ट्रिंग” पुल का निर्माण करने का फ़ैसला किया है।
शहर में उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए बीएमसी 10.6 किलोमीटर की एमसीआरपी का निर्माण कर रही है, जो मरीन ड्राइव के पास से शुरू होगी और बांद्रा-वर्ली सी लिंक (बीडब्ल्यूएस) पर समाप्त होगी।
मूल योजना के हिस्से के रूप में तटीय सड़क को बीडब्ल्यूएसएल के साथ एक ऊंचे पुल के माध्यम से जोड़ा जाना था, जो खंभों पर बनाया जायेगा। हालांकि, स्थानीय मछुआरा समुदाय के सदस्यों ने दावा किया कि खंभों के बीच का अंतर पर्याप्त नहीं था और इससे ख़ासकर मानसून में उबड़-खाबड़ लहरों के दौरान उनकी नावों को ख़तरा होगा।
मछुआरे चाहते थे कि खंभों के बीच 200 मीटर की दूरी हो, जबकि बीएमसी की सिफ़ारिश 60 मीटर थी। मछुआरों ने विरोध किया और जनवरी, 2023 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस अंतर को बढ़ाकर 120 मीटर करने को लेकर हस्तक्षेप किया।
बीएमसी ने तब उस योजना को संशोधित किया, नावों के लिए व्यापक नेविगेशन स्थान प्रदान करने के लिए एक स्तंभ को हटा दिया। चूंकि एक खंभे को हटाने के कारण मौजूदा खंभों के बीच की दूरी बढ़ गयी,ऐसे में बीएमसी ने “बो-स्ट्रिंग” गर्डर पुल बनाने का फ़ैसला किया है।
पुल के स्पैन खंभों के बजाय हाई-टेंशन कॉर्ड के माध्यम से एक साथ रखे जायेंगे। तार बाहर से एक आर्च-आकार का गर्डर बनाते हैं और पुल के सिरों को सतह से कसकर पकड़ते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है,”हमने इस विकल्प को जिस कारण से चुना, इसका प्राथमिक कारण यह है कि इस पुल को अतिरिक्त पाइलिंग कार्यों की आवश्यकता नहीं है और मौजूदा स्तंभों में से एक को हटाने से संरचना को कोई ख़तरा नहीं होगा। यह पुल हाई-टेंशन कॉर्ड द्वारा बनाया जायेगा और इस प्रकार के डिज़ाइन बिना किसी मज़बूत नींव के बने छोटे पुलों के लिए उपयुक्त हैं।”