मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति एन वी रमण (NV Ramana) का कहना है कि CJI होने का काफी दबाव होता है। और वो तनाव में हैं। उनका कहना है कि, वो इससे जल्द ही बाहर निकलने का समाधान ढूंढ रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी क्षेत्र के सभी स्तरों पर महिलाओं के अत्यंत कम प्रतिनिधित्व पर मंगलवार को अफसोस जताया और वादा किया कि वह अपने कॉलेजियम सहयोगियों के साथ पीठ में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मांग को उठाएंगे।
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न्यायमूर्ति रमण ने सीजेआई होने के दबाव का जिक्र करते हुए कहा, 'बहन हिमा कोहली ने चिंता के साथ मुझसे पूछा कि क्या मैं तनाव में हूं। हां, मैं तनाव में हूं। प्रधान न्यायाधीश बनना तनावपूर्ण है। मैं इससे बच नहीं सकता। मुझे इससे निपटना होगा। CJI ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली के प्रमोट होकर उच्चतम न्यायलय में पहुंचने पर उनके सम्मान में आयोजित समारोह में कहा कि जब उन्होंने कार्ल मार्क्स के संबोधित उदाहरण का उपयोग करके महिलाओं को अपने लिए अधिक प्रतिनिधित्व की मांग करने के लिए कहा था, तब उन पर क्रांति भड़काने का आरोप लगाया गया था।
उन्होंने यहां महिला वकीलों की सभा को आश्वासन दिया कि पीठ में महिलाओं के 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व की मांग पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, मैं कॉलेजियम में अपने भाइयों के समक्ष आपकी मांग को उठाने का वादा करता हूं।
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बता दें कि, इससे पहले दिसंबर महीने में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने महिला वकीलों से आह्वान किया था कि वे न्यायपालिका में 50 प्रतिशत आरक्षण के लिए जोरदार तरीके से मांग उठाएं। उन्होंने इस मांग को अपना पूर समर्थन जताते हुए कहा था कि, मैं नहीं चाहता कि आप रोएं, बल्कि आपको गुस्से के साथ चिन्लाना होगा और मांग करनी होगी कि हमें 50 प्रतिशत आरक्षण चाहिए।