देश मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना मौजूदा न्याय व्यवस्था पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि हमेशा से देश की न्यारय व्यीवस्था् में इंसाफ मिलने में देरी होने पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। उनके मुताबिक हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के दौर की है और इसका भारतीयकरण करने की जरूरत है। CJI ने कहा कि भारत की समस्याओं पर अदालतों की वर्तमान कार्यशैली फिट नहीं बैठती है।
बार एंड बेंच के मुताबिक CJI रमना ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोग इंग्लिश में होने वाली कानूनी कार्यवाही को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे बर्बाद करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी को कोर्ट और जज से डर नहीं लगना चाहिए। जस्टिस एनवी रमना ने कहा, हमारी न्याय व्यवस्था में आम लोगों को इंसाफ पाने में कई अड़चनें आती हैं। हमारी अदालतों की कार्यप्रणाली भारत की जटिलता के साथ मेल नहीं खाती। मौजूदा व्यवस्था औपनिवेशिक काल की है और ये हमारे लोगों के लिए सही नहीं है। हमें हमारी न्याय व्यवस्था के भारतीयकरण करने की जरूरत है। जरूरत है कि हम समाज की वास्तविकता को स्वीकार करें और न्याय व्यवस्था को स्थानीय जरूरतों के हिसाब से ढालें।
सीजेआई रमना ने अपनी चर्चा में गांव के एक परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोग अंग्रेजी में होने वाली कानूनी कार्यवाही को नहीं समझ पाते हैं, ऐसे में उन्हें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। CJI रमना ने कहा न्याहय व्यीवस्थान में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का होता है। कोर्ट की कार्यवाही पूरी तरह से पारदर्शी और जवाबदेही भरी होनी चाहिए। कोर्ट में मौजूद जज और वकीलों को कर्तव्यल है कि वह कोर्ट परिसर में ऐसा माहौल तैयार करें जिससे किसी को भी न्या्यालय आने में डर न लगे।