आज महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्योहार प्रत्येक साल हिंदी महीना कार्तिक कृष्ण पक्ष का अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। वहीं, वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। स्कंद और पद्म पुराण का कहना है कि इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं।
दीपावली पांच दिनों का पर्व होता है जिसमें धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार मनाया जाता है। दिवाली की शाम लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा आराधना करने का विधान है। आइए जानते हैं दिवाली पर शुभ-मुहूर्त में किस तरह किया जाता है। दिवाली पर प्रकाश और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में किया जाना सबसे शुभ माना गया है। प्रदोष काल का मतलब सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त से होता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है।
माना जाता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा-आराधना में माता लक्ष्मी वहां पर अवश्य अपने कुछ अंश के रूप में निवास करने लगती हैं। इसके अलावा महानिशीथ काल में भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। इसमें मां काली की पूजा करने का विधान होता है। इस काल में ज्यादातर लोग लक्ष्मी पूजा वे करते हैं जो तांत्रिक या साधक होते हैं।
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
04 नवंबर 2021, गुरुवार को लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ समय- शाम 06 बजकर 10 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
दिवाली 2021 में लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 34 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा का महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – रात 11 बजकर 38 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक
अवधि – 52 मिनट तक
नोटः दिवाली 2021 में लक्ष्मी पूजा का यह शुभ मुहूर्त दिल्ली के अनुसार है। देश के कई प्रदेशों के अलग-अलग शहरों में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा करने के समय में अंतर होगा।