भारत अब अमेरिका से 30 घातक ड्रोन खरीदने जा रहा है, ये ड्रोन सीमा पर हर हरकत की निगरानी करेंगे और इसके साथ ही अब पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ गई है। भारत इस 30 प्रीडेटर ड्रोन का काफी लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा है जो अब खत्म हो जाएगा। करीब 21,000 करोड़ रुपए के इस अधिग्रहण पर चर्चा के लिए सोमवार को रक्षा मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक होगा।
इस बैठक में अगर अधिग्रहण को मंजूरी मिल जाती है, तो इसे रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद को भेज दिया जाएगा। फिर अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे अंतिम मंजूरी देने के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी को भेजा जाएगा। ड्रोन उन्नत प्रणालियों और हथियारों के पैकेज से लैस होंगे और लंबी दूरी की निगरानी और सटीक हमलों को सक्षम करेंगे। भारत की ड्रोन खरीदारी सूची में MQ-9B के SeaGuardian/SkyGuardian वेरिएंट शामिल हैं।
एक रिपोर्ट की माने तो, कहा जा रहा है कि, भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में से प्रत्येक को अनुकूलित निर्देशों के साथ प्रत्येक को 10 ड्रोन मिलेंगे। इंडियन नेवी पहले से ही दो निहत्थे सीगार्डियन ड्रोन का उपयोग कर रही है जिसे उसने पिछले साल हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से पट्टे पर लिया था। इस ड्रोनों के अधिग्रहण के लिए भारतीय नौसेना प्रमुख है।
रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 और रक्षा खरीद नियमावली 2009 के तहत हथियार प्रणालियों को पट्टे पर देने का प्रावधान किया गया है। इससे भारत को खर्च में कटौती करने में मदद मिलती है, क्योंकि रखरखाव की जिम्मेदारी भी विक्रेता के पास होती है। बताते चलें कि, पिछले कुछ सालों में भारतीय सशस्त्र बल निगरानी आवश्यकताओं के लिए अमेरिकी प्रणालियों में विश्वास दिखा रहे हैं। भारतीय नौसेना पहले से ही नौ पी-8-आई लंबी दूरी के निगरानी विमानों का उपयोग कर रही है और अगले कुछ वर्षों में नौ और मिलेने की उम्मीद है।
अगर ये ड्रोन भारत को मिल जाते हैं तो सीमा पर सुरक्षा में भारतीय सेना को बड़ी सहायता मिलेगी। क्योंकि, पाकिस्तान की आए दिन भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराते रहता है इसके साथ ही चीन से लगती सीमाओं पर भी भारत को निगरानी रखने में बड़ी कामयाबी मिलेगी।