भारत के वीर जवानों की गाथा जब भी सुनाई जाती है तो पूरे देशवासियों का सीना चौड़ा हो जाता है। इस धरती ने न जाने कितने शूरवीरों को जन्म दिया जो खुशी-खुशी अपनी मातृभूमि के लिए दुश्मनों के आगे कूद पड़े। कारगिल युद्ध के शूरवीरों के अदम्य शौर्य के चलते हमें जीत मिली और उन्हें जब भी याद किया जाएगा तब-तब पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा। इस जंग की वैसे तो कही कहानियां हैं लेकिन, एक कहानी ये भी है कि जब नौ सेना ने ऑपरेशन तलवान शुरू किया तो पाकिस्तान इतनी बूरी तरह टूट गया कि वो मदद-मदद चिल्लाने लगा।
इसके आगे बढ़ने से पहले पाकिस्तान की असलियत के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। दरअसल, इस जंग से ठीक पहले भारत लगातार पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधार कर एक नहीं कहानी लिखना चाह रहा था। लेकिन, पाकिस्तान तो दिल में भारत के खिलाफ जहर लिए बैठा था वो युद्ध की तैयारी कर रहा था। बात फरवरी 1999 की है जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर पहुंचे। 21 फरवरी 1999 को दोनों देशों के बीच एक समौझाता हुआ। जिसे लाहौर समझौता कहा जाता है। दोनों देशों ने कहा कि, हम सहअस्तिव के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। जल्द ही देनों कश्मीर समेत सभी मामले मिलकर और बैठकर सुला लेंगे। सबसे बड़ी बात यह कि, प्रधानमंत्री वाजपेयी को 21 तोपों की सलामी तक दी गई। लेकिन, पाकिस्तान ये सब अपने नापाक मंसूबो पर पर्दा डालने के लिए कर रहा था। एक ओर भारत संग दोस्ती का हाथ तो दूसरी ओर उसकी सेना हिंदुस्तान पर हमले की साजिश रच रही थी। ये पाकिस्तान का असली चेहरा है। इस साजिश के असली सूत्रधार पाकिस्तानी सेना के प्रमुख परवेज मुशर्रफ थे। जिसका नाम 'ऑपरेशन बद्र' रखा था। इस प्लान को पाकिस्तान सेना के बड़े अफसरों ने मिलकर बनाया था।
सियाचिन पर कब्जे का था प्लान
कारगिल में जब सर्दियां आती हैं तो यहां का तापमान -30 से -40 डिग्री चला जाता है। जिसे लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हुआ कि, सेनाएं अक्टूबर के पास अपनी-अपनी पोस्ट छोड़कर वापस आ जएंगी। फिर मई-जून में दोबारा अपने-अपने पोस्ट पर दोबारा तैनात हो जाती थी। लेकिन, 1998 की सर्दियों में जब भारतीय सेनाएं वापस लौट आई तो पाकिस्तानी सेना ने अपनी पोस्टें छोड़ी ही नहीं और साथ ही भारतीय पोस्ट पर भी कब्जा कर लिया। मुशर्रफ का प्लान था कि लेह-श्रीनगर हाईवे पर कब्जा कर ले जिसके चलते, सियाचिन पर पाकिस्तान कब्जा कर ले।
क्या था नौ सेना का 'तलावर ऑपरेशन' जिसने पाकिस्तान को तोड़ दिया
19 मई वो तारीख थी जिस दिन कारगिल युद्ध की एक तौर पर आधिकारिक शुरुआत हुई। द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत हुई। इन्हीं ऑपरेशनों में से एक था नेवी का ऑपरेशन तलवार। नेवी के इस ऑपरेशन से पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंचा जिसका उसे अंदाजा नहीं था। इसी के बाद वो पूरी तहर टूट गया। दरअसल, इसके तहत वेस्टर्न नेवल कमांड और साउदर्न नेवल कमांड ने अरब सागर में पाकिस्तान पर नेवल ब्लॉकेज लगा दिया। इस ब्लॉकेज की वजह से पाकिस्तान में पेट्रोलियम की सप्लाई तक बंद हो गई। हालात यह हो गई उसके पास महज छह दिन का पेट्रोलियम बचा था। हर ओर से घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मदद के लिए अमेरिका के पास भागे-भागे पहुंचा।