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काशी में दो दिन बिताएंगे PM Modi, 13 दिसंबर को बताया लैंडमार्क डे, लोगों से की खास अपील

काशी में दो दिन बिताएंगे PM Modi, 13 दिसंबर को बताया लैंडमार्क डे, लोगों से खास अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आने वाले हैं। 13 दिसंबर को दोपहर करीब 1 बजे प्रधानमंत्री श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे, इसके बाद करीब 339 करोड़ रुपए की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम  के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे। यूपी के मुख्यमंत्री योगी और राज्यपाल आनन्दी बेन सहित अन्य जनप्रतिनिधि एयरपोर्ट पर पीएम की अगवानी करेंगे।

उद्घाटन को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि कल, 13 दिसंबर एक ऐतिहासिक दिन है। काशी में विशेष कार्यक्रम में श्री काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का उद्घाटन होगा। ये काशी की आध्यात्मिक जीवंतता को जोड़ेगा। मैं आप सभी से कल के कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह करूंगा। बाबा विश्वनाथ के तीर्थयात्रियों और भक्तों को पवित्र नदी में डुबकी लगाने की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करने, खराब रख-रखाव एवं भीड़भाड़ वाली सड़कों से आने-जाने और गंगाजल लेकर मंदिर में अर्पित करने में होने वाली कठिनाइयों को दूर करके उन्हें सुविधा प्रदान करना प्रधानमंत्री का काफी पुराना सपना था।

 

इस सपने को साकार करने के लिए, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ने के लिए एक सुगम मार्ग के सृजन की एक परियोजना के रूप में श्री काशी विश्वनाथ धाम की परिकल्पना की गई। परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया जाएगा। ये भवन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिनमें शामिल हैं यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट आदि। इस परियोजना के अंतर्गत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किए गए। सभी को साथ लेकर चलने का प्रधानमंत्री का विजन ही वो सिद्धांत था, जिसके आधार पर इन अधिग्रहणों के लिए आपस में बातचीत से हल निकाला जाता था।

इस प्रयास में करीब 1400 दुकानदारों, किराएदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास सौहार्दपूर्ण ढंग से पूरा किया गया। इसकी सफलता का प्रमाण ये है कि परियोजना के विकास से संबंधित अधिग्रहण या पुनर्वास को लेकर देश के किसी भी न्यायालय में कोई भी मुकदमा लंबित नहीं है। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तहत ये भी सुनिश्चित किया जाना था कि परियोजना के विकास के दौरान सभी विरासत संरचनाओं को संरक्षित किया जाए। ये दूरदर्शिता तब काम आई, जब पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज निकाला गया।