भारत में कोरोना वायरस ने पहली और दूसरी लहर में जमकर तबाही मचाई। देश में इस वक्त तीसरी लहर चल रही है लेकिन इस वक्त कोरोना के मामलों में गिरावट के बाद सब कुछ फिर से खोल दिया गया है। तीसरी लहर में पहली और दूसरी लहर के जैसे हालत नहीं रही। कोरोना वेरिएंट के कमजोर होने के कारण इसके जितने तेजी से मामले मिले उतनी ही तेजी से संक्रमित मरीजों में सुधार भी हुई। कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार का जोर लोगों को बूस्टर डोज दोने पर है। लेकिन अब एक सर्वे के मुताबिक लोगो बूस्टर डोज लेने से हिचकिचा रहे हैं।
सोशल मीडिया कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल (LocalCircles Survey) ने एक सर्वे किया है जिसमें बूस्टर डोज को लेकर लोग क्या सोचते हैं इसका पता चला है। लोकलसर्कल द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि बूस्टर डोज लगवाने के लिए पात्र लोगों में से 42फीसदी लोग इसे लगवाने के लिए अनिच्छुक नजर आ रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, तीन फरवरी तक सिर्फ 1.25करोड़ प्रिकॉशन डोज लगाई गई हैं। इसे लगवाने के लिए पात्र लोगों में से 29फीसदी वर्तमान में कोविड से जूझ रहे हैं और इसे बाद में लगवाने की इच्छा जता चुके हैं। वहीं, 29फीसदी ऐसे लोग हैं, जो कोरोना के दैनिक मामलों के कम होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा, डेटा के एनालिसिस से पता चला है कि पात्र लोगों में से 14फीसदी के बूस्टर डोज लेने की संभावना नहीं है, जबकि 28फीसदी लोग अभी इस बारे में अधिक जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। इस झिझक के कई कारण हैं, जिनमें कुछ जिलों में बूस्टर डोज के बारे में गलत सूचना और अफवाहें शामिल हैं।
Also Read: Elon Musk को मिला भारत सरकार से बड़ा झटका- देखें Tesla की कारें इंडिया में लॉन्च होंगी भी या नहीं?
सोशल मीडिया पर पोस्ट से पता चलता है कि कुछ लोग यह नहीं मानते कि प्रिकॉशन डोज प्रभावी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के हल्के लक्षणों और ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़ी कम मृत्यु दर की वजह से भी लोगों के बीच प्रकॉशन डोज को लेकर हिचकिचाहट है। IMA ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि, प्रकिॉशन डोज के लिए झिझक होने की मुख्य वजह स्वास्थ्यकर्मियों की कैटगरी में पैरामेडिक्स के बीच थी। इनमें नर्से, थेरेपिस्ट, टेक्नीशियन और चिकित्सा सेवाओं से जुड़े अन्य सहायक कर्मी शामिल हैं।