भारत के कामों में पाकिस्तान और चीन दोनों ही टांग अड़ाना नहीं छोड़ते। पाकिस्तान को हर बार मुंह की खानी पड़ती है उसके बाद भी वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। रही बात चीन की तो चीन लगातार जबरदस्ती दूसरे देशों की जमीनों पर अवैध कब्जा करने की कोशिश करता रहा है और भारत के साथ इस वक्त यही विवाद गहराता जा रहा है। चीन ने जब गलवान घाटी में अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की तो वहां पर भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत से ज्यादा चीन को नुकसान हुआ था और उसके लगभग 40 सैनिक मारे गए थे। लेकिन चीन लगातार अपनी ही जनता की आंख में धूल झोंक कर मरने वाले सैनिकों की संख्या 4 से 5 बताता रहा है। अब एक बात और सामने आई है कि चीन पैंगोंग झील पर 1962 से अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में एक पुल का निर्माण कर रहा है। इस बात की जानाकारी शुक्रवार को लकसभा में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने दी।
Also Read: Indian Army की ताकत से बौखला उठी Pakistani सेना, जनरल नरवणे के बयान से ना-पाक फौज को लगी मिर्ची
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा है कि, पैंगोंग झील पर एक नए पुल का ड्रैगन निर्माण कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि, भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किय। सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे एक पुल पर ध्यान दिया है। इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं। भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा कुछ स्थानों नाम बदलने की खबरों को नोट किया है। यह एक व्यर्थ अभ्यास है जो इस तथ्य को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। पिछले छह दशकों से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर में चीन का अवैध कब्जा जारी है। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इस बात की जानाकरी लोगसभा में शुक्रवार को देते हुए कहा कि, 1963 में हस्ताक्षरित तथाकथित चीन-पाकिस्तान "सीमा समझौते" के तहत, पाकिस्तान ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों से शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को सौंप दिया।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, भारत सरकार ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी मान्यता नहीं दी और लगातार इसे अवैध और अमान्य बताया है। बता दें कि, 1962 के युद्ध के बाद चीन और पाकिस्तान दोनों ने ही भारत पर दबाव बनाने के लिए पूरजोर कोशिश की। भारत पर दबाव बनाने के लिए दोनों देशों ने कई चाल चली लेकिन, उनकी कोशिश नाकामयाब ही रहीं। 1963 में उस सौदे के हिस्से के रूप में चीन और पाकिस्तान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, भले ही दोनों देशों के बीच कोई सीमा नहीं है। इसके अलावा इसे पाकिस्तान द्वारा चीन को सौंप दिया गया था।