चीन इन दिनों कई बड़े देशों से दुश्मनी मोल ले रहा है खासकर यूरोप देशों से। लेकिन, अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। दरअसल, चीन की बुरी नजर शुरू से ही दूसरे देशों की जमीनों पर रही है। जहां ड्रैगन लगातार घुसपैठ कर अपना हक जताता रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि बड़े देशों के साथ-साथ छोटे देश भी चीन की गीदड़भभकी से डरने वाले नहीं हैं। ताइवान और फिलीपींस जैसे छोटे देश चीन की दादागिरी का मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैं। भारत में भी चीन ने इस बार घुसपैठ करने की पूरी कोशिश की लेकिन इस बार भारतीय जवानों ने चीन को ऐसा चोट दिया की चीन झल्ला उठा है। पिछले साल गलवान घाटी में चीन के कम से कम 40 सैनिक मारे गए लेकिन चिन दुनिया से तो झूठ बोला ही साथ ही अपने ही देश के साथ झूठ बलते हुए 4 से 5 सैनिकों के मारे जाने की खबर छपवाई। इसी हिंसक झड़प में घायल हुए एक सैनिक के हाथों में चीन ने विंटर ओलंपिक में मशाल देकर खेल का राजनीतिकरण करने की कोशिश की है, जिसकी इस वक्त पूरी दुनिया में थू-थू हो रही है। इसी को लेकर अमेरिका ने ड्रैगन की जमकर लताड़ लगाई है।
यूएस ने साफ कर दिया है कि वह चीनी आक्रामकता के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि जब भारत-चीन सीमा की स्थिति की बात आती है, तो हम सीधी बातचीत और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, हमने पहले भी अपने पड़ोसियों को डराने के लिए चल रहे प्रयासों के बीजिंग के पैटर्न पर अपनी चिंता जताई है। जैसा कि हम हमेशा करते हैं, हम दोस्तों के साथ खड़े होते हैं। हम हिंद-प्रशांत में अपनी साझा समृद्धि, सुरक्षा और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं।
इसके अलावा अमेरिकी सीनेटर जिम रिस्क ने भी ट्वीट कर इसे शर्मनाक बताया है। उन्होंने लिखा कि, यह शर्मनाक है कि बीजिंग ने ऐसे व्यक्ति के हाथों में विंटर ओलंपिक की मशाल थमा दी, जो भारत पर किए गए सैन्य हमले में शामिल था। इसके अलावा वह शख्स सेना का भी हिस्सा है, जिसने उइगर मुस्लिमों का नरसंहार किया। अमेरिका की ओर से उइगरों की आजादी और भारत की संप्रभुता का समर्थन जारी रहेगा।
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बता दें कि, आज से (4 फरवरी) से बीजिंग ओलंपिक की शुरुआत हो रही है। इस मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के पीएम इमरान खान सहित मध्य एशियाई देशों के पांच राष्ट्रपति शामिल हो रहे हैं। वहीं, अमेरिका के साथ ब्रिटेन,कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश चीन द्वारा शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं।