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PM मोदी के नेपाल जाते ही पूरा हुआ 15 साल पुराना ये काम, बुद्ध की जन्मस्थली ‘लुंबिनी’ से जुड़ा है मामला

PM Modi Nepal Visit

वैशाख बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर पीएम मोदी नेपाल पहुंचे थे। इस सरकारी यात्रा के दौरान पीएम लुंबिनी मठ क्षेत्र के अंदर अद्वितीय बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र के निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह में शामिल हुए। दरअसल, बुद्ध की जन्मस्थली के विकास का मास्टर प्लान तकरीबन पूरा हो गया है और इसको  प्रसिद्ध जापानी वास्तुकार प्रो केंज़ो तांगे (1913 -2005) ने तैयार किया है। बता दें, इस मास्टर प्लान को तैयार करने करीब 6साल का समय लगा है।

परंतु, निराशा की बात यह रही कि इसे 15साल के भीतर 2फेज में लागू करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन सरकार की लापरवाही के इस पर काम नहीं हो सका। हालांकि मोदी की विजिट के बाद इसमें फिर से जान आ गई है। यानी जैसे ही इस मास्टर प्लान पर काम पूरा हो जाएगा, तय मानिए लुंबिनी नेपाल के उन कुछ स्थानों में से एक होगा, जो दुनियाभर में चर्चित हो उठेगा। इस बौद्ध सांस्कृतिक केंद्र को बनाने में भारत 1अरब रुपए खर्च कर रहा है।

कई गुना पर्यटक बढ़ जाएंगे

लुंबिनी के मास्टर प्लान पर nepalnews वेबसाइट ने एक विस्तार से न्यूज पब्लिश की है। इसमें लिखा गया कि बौद्ध धर्म के एक शोधकर्ता बसंत महारजनमानते हैं कि लुंबिनी को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इससे करीब 20किमी दूर गौतम बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरुआत निश्चय ही लुंबिनी के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि अगर लुंबिनी मास्टर प्लान पर समय सीमा में काम पूरा हो जाता, तो क्षेत्र में पर्यटन कई गुना बढ़ जाता। हालांकि देर हो चुकी है, फिर भी यह पूरा होने के चरण में है, और यह एक सुखद विकास है।

भारतीय पर्यटकों से मिलेगा आर्थिक संबल

बसंत महारजन सुझाव देते हैं कि नेपाल और भारत के बौद्ध स्थलों को जोड़ने से और लुंबिनी के विकास से यहां पर्यटक बढ़ेंगे, जिससे नेपाल की इकोनॉमी बेहतर होगी। लुंबिनी में हजारों बौद्ध पर्यटक बौद्ध संस्कृति के अनुसार बौद्ध धर्म के इस पवित्र स्थान की यात्रा पर आते हैं। वे यहां तीन दिन रुकते हैं। लुंबिनी क्षेत्र करीब1,155बीघा में फैला हुआ है। यही कारण है कि लुंबिनी विकास ट्रस्ट (लुंबिनी क्षेत्र के विकास के लिए जिम्मेदार निकाय) बुद्ध के जीवन से संबंधित साइटों को एक साथ विकसित करने के विचार के साथ अस्तित्व मे आया, जो पास के कपिलवस्तु और नवलपरासी (बरदाघाट सुस्ता पूर्व और पश्चिम) में स्थित हैं।

लुंबिनी बारे में कुछ जरूरी बातें

भारत के दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक होने के बावजूद बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी को लेकर अभी तक कोई प्लानिंग नहीं थी। थाईलैंड, कनाडा, कंबोडिया, म्यांमार, श्रीलंका, सिंगापुर, फ्रांस, जर्मनी, जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रिया, चीन, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों का प्रतिनिधित्व मठ क्षेत्र के प्रोजेक्ट्स सेंटर द्वारा किया जाता है। लुंबिनी के मास्टर प्लान का मामला पीएम मोदी की सरकार ने नेपाल के साथ सर्वोच्च स्तर पर उठाया था।

लुंबिनी क्षेत्र के बारे में

वर्तमान में लुंबिनी क्षेत्र में 24से अधिक विहार और मठ हैं। लुंबिनी को 1997में विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया था। यहां 1100शताब्दी ईसा पूर्व के प्राचीन लेख और अवशेष मिले हैं। मायादेवी मंदिर लुंबिनी का केंद्र है। बौद्ध धर्म के अनुयायी हमेशा अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार बुद्ध के जन्मस्थान की यात्रा करना चाहते हैं। दुनिया भर से लगभग 1.6मिलियन आगंतुक सालाना लुंबिनी आते हैं।