मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए हैं।लोक सभा के बाद राज्यभा में भी कृषि विल वापस बिल पारित हो गया। इसका मतलब कि नए कृषि कानून खत्म हो गए। कानून वापसी के बाद भी किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे नेता अभी तक अड़े हुए हैं। किसानों ने अब सरकार के सामने नई चुनौती रख दी। आंदोलनकारी नेताओं ने सरकार को एक दिसम्बर तक का नया अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि एमएसपी गारंटी कानून नहीं लाए तो आंदोलन जारी रहेगा।
इससे पहले लोक सभा में लाया गया यह बिल भारी हंगामें और शोर-शराबे के बीच पारित किया गया। किसानों के नाम पर दिल्ली के रास्ते घेर कर बैठे आंदोलनजीवी और विपक्षी दल हाथ से सारे मुद्दे फिसलने के बाद खिसियाते नजर आए। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत खिसियाट में बस यह कहते नजर आए कि अच्छी बात है संसद में बिल वापसी हो गई। अब एमएसपी पर भी सरकार चर्चा करे।
बिल वापसी के बाद राकेश टिकैत की भाव-भंगिमा ऐसी थी कि जैसे उनके हाथ से किसी ने कुछ छीन लिया हो। किसानों के नाम पर धरना देकर बैठे लोगों पर धरना खत्म करने का दबाव ज्यादा ही बढ़ गया है। इस धरना-आंदोलन से परेशान आम आदमी में भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सरकार ने बिल वापस ले लिया है तो अब आंदोलन किस लिए हो रहा है।
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक पर सदन में चर्चा की मांग की है। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश को संबोधित करते हुए इन कानूनों की वापसी की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि हम कहीं न कहीं कुछ किसानों को इसके फायदे समझाने में सफल नहीं हो पाए।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। परिसर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष एकत्रित कांग्रेसी सदस्य एक बड़ा बैनर फैलाए हुए थे जिसमें अंग्रेजी में लिखा था -हम काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं।