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Monsoon Effect: हिमाचल में त्राहि-त्राहि, शिमला के नलों में पानी नहीं, कुल्लू से कटा मनाली  

मौसम विभाग की हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश की भविष्यवाणी

आशुतोष कुमार

शिमला: अभूतपूर्व मानसून प्रकोप से बुरी तरह प्रभावित हिमाचल प्रदेश अचानक आयी उस बाढ़ से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिससे राज्य में सड़कें बह गयीं और जल आपूर्ति और बिजली के बुनियादी ढांचे को नुक़सान पहुंचा है।

लाहौल-स्पीति को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के टूट जाने के कारण लोकप्रिय पर्यटन शहर मनाली कुल्लू से पूरी तरह कट गया है।

कुल्लू के एक युवा होटल व्यवसायी कार्तिक ठाकुर ने बताया, “पिछले दो दिनों से पानी और बिजली की आपूर्ति नहीं है। हमारे मोबाइल फ़ोन काम नहीं कर रहे हैं, वे लोग जो कारों में अपने फ़ोन को फिर से चार्ज करते हैं, आपातकालीन कॉल करने में वे ही लोग सक्षम हैं।

गिरि नदी, नेउती खड्ड और चाबा में जल स्रोतों में गंदगी का स्तर अधिक होने के कारण जलापूर्ति बंद होने से राज्य की राजधानी शिमला में पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है।

शिमला जल प्रबंधन निगम के प्रवक्ता ने कहा, “रविवार और सोमवार को भी मूसलाधार बारिश के बाद गंदगी ख़तरनाक़ स्तर पर पहुंच गयी है। इससे शिमला शहर में नियमित आपूर्ति के लिए पानी की लिफ्टिंग प्रभावित हुई है। गिरि जल स्रोत पर कीचड़ भरी गंदगी 16,700 एनटीयू थी।”

उच्च गंदलापन स्तर के कारण छह में से पांच स्रोतों से पानी की आपूर्ति पूरी तरह से निलंबित कर दी गयी है। शिमला को आपूर्ति करने वाला एकमात्र स्रोत गुम्मा- एक ब्रिटिश युग की योजना है । शहर में रोज़ाना 45 एमएलडी पानी की ज़रूरत के मुक़ाबले रविवार को महज़ 6.34 एमएलडी पानी की आपूर्ति हो पायी।

सोमवार को शिमला को केवल 1.69 एमएलडी पानी की आपूर्ति की गयी, जो दर्शाता है कि इस संकट ने शिमला की आबादी को कितनी बुरी तरह प्रभावित किया है।

शहर के कई इलाक़ों में रविवार को जलापूर्ति नहीं हो पायी और आने वाले दिनों में स्थिति और ख़राब हो सकती है। यहां के निवासियों ने पानी के टैंकरों की मांग की और उनमें से कुछ पानी लाने के लिए पारंपरिक “बाउरियों” की ओर भी गये।

सूत्रों ने कहा कि स्थिति गंभीर हो गयी है और अगर बारिश ऐसी ही होती रही, तो निवासियों को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। यह संकट शिमला में 2018 के जल संकट की याद दिलाता है

एसजेपीएनएल के अधिकारियों ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें और उबालने या छानने के बाद ही इसका सेवन करें।अधिकारियों ने कहा, “यह एक आपातकालीन स्थिति है। कोई भी निश्चित नहीं है कि जल स्रोतों पर गंदगी का स्तर कब कम होगा।”

राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के निर्वाचन क्षेत्र सेराज के एक क्षेत्र थुनाग से अचानक आयी बाढ़ के डरावने दृश्य दिखायी दे रहे हैं। इसके अलावा सोलन में बादल फटने से चेवा गांव में भी बड़ा भूस्खलन हुआ है।

मंडी के नगवाईं गांव के पास ब्यास नदी में फंसे 6 लोगों को एनडीआरएफ ने बचा लिया है।

अभूतपूर्व बाढ़ के कारण ऊंचाई वाले जनजातीय ज़िले लाहौल-स्पीति में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। घाटी के लिए तो यह एक दुर्लभ बात है, जहां डेढ़ दशक पहले तक कभी भी मानसूनी बारिश नहीं देखी गयी थी।

पंजाब की सीमा से लगे ज़िले ऊना में बारिश ने 1993 के बाद से 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

शिमला में मौसम विभाग कार्यालय ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में लगातार तीसरे दिन भारी से अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी, जिससे पहले राज्यव्यापी भूस्खलन हुआ और राजमार्ग और लिंक सड़कें अवरुद्ध हो गयी। सरकार ने लोगों को बेहद ज़रूरी न होने तक यात्रा से बचने की सलाह दी है।

पिछले 24 घंटे में 15 लोगों की जानें चली गयी हैं।

तीसरे दिन भी मूसलाधार बारिश का क़हर जारी रहने के बीच कुल्लू के लगघाटी क्षेत्र में बादल फटने की ख़बर है। बादल फटने से 100 बीघे से ज़्यादा ज़मीन बह गयी है।

इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह स्थिति पर क़रीब से नज़र रख रहे हैं और उन्होंने बचाव, राहत और बहाली के उपाय करने के लिए केंद्र से मदद मांगी है। राज्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने लोगों से प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने में स्थानीय प्रशासन का सहयोग करने की भी अपील की है।

सुक्खू ने मनाली के आलू मैदान में फंसे लगभग 29 लोगों और लाहौल और स्पीति ज़िले में चंद्रताल झील के पास फंसे लगभग 200 पर्यटकों के बचाव अभियान की भी निगरानी की। रेस्क्यू टीम के प्रयासों से मनाली में फंसे इन 29 लोगों को कल सुबह 8 बजे तक बचा लिया गया।